
राज्य ब्यूरो, भोपाल। प्रदेश में इस बार सर्दी ने अपने तेवर कुछ अलग ही दिखाए हैं। हवाओं के बदले रुख और असामान्य मौसमी परिस्थितियों के कारण मालवा अंचल में कड़ाके की ठंड पड़ी, जिसने बीते 67 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
इंदौर में 18 दिसंबर को न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो अब तक का 10वां सबसे कम तापमान रहा। मौसम विज्ञानियों के अनुसार इसकी बड़ी वजह कश्मीर की ओर से सीधे पहुंची उत्तरी ठंडी हवाएं हैं, जिनका असर प्रतिचक्रवात, जेट स्ट्रीम और पश्चिमी विक्षोभ के साथ मिलकर और तीखा हो गया।
आमतौर पर मालवा, सीहोर, राजगढ़ और शाजापुर की पट्टी में पश्चिमी हवाएं प्रभावी रहती हैं, जिससे ठंड अपेक्षाकृत कम रहती है। लेकिन इस बार पश्चिमी राजस्थान के ऊपर बने प्रतिचक्रवात ने हवाओं की दिशा बदल दी। मौसम विज्ञानी बीएस यादव के अनुसार, प्रतिचक्रवात के कारण कश्मीर से आ रही उत्तरी हवाएं मालवा तक पहुंच गईं, जिससे तापमान में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई।
मध्य भारत के ऊपर सक्रिय जेट स्ट्रीम में अटलांटिक महासागर की ठंडी हवाओं का मिश्रण हो गया। तेज गति से बहने वाली इस जेट स्ट्रीम ने ठंडी हवाओं को जमीन की सतह तक दबाया, जिससे ठंड और बढ़ गई। इसके साथ ही कश्मीर के आसपास सक्रिय पश्चिमी विक्षोभों ने भी उत्तरी भारत से ठंडी हवाएं भेजने में भूमिका निभाई।
भोपाल के मौसम विज्ञानी डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक, फिलहाल प्रदेश में किसी सशक्त पश्चिमी विक्षोभ के आसार नहीं हैं। मौसम साफ रहेगा और मावठा या बारिश की संभावना बेहद कम है। उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश में अगले चार से पांच दिनों तक कोहरा रह सकता है, लेकिन इसके बाद स्थिति सामान्य होने लगेगी।
सेवानिवृत्त मौसम विज्ञानी डॉ. डीपी दुबे का कहना है कि 27 दिसंबर को आने वाला पश्चिमी विक्षोभ कमजोर रहेगा। ऐसे में ठंड सामान्य समय यानी फरवरी मध्य तक विदा हो जाएगी। ठंड की समय पर विदाई का मतलब यह भी है कि गर्मी का मौसम लंबा और ज्यादा तीखा हो सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार 26 दिसंबर से तापमान में हल्की बढ़ोतरी होगी, क्योंकि मालवा की ओर बना प्रतिचक्रवात उत्तरी हवाओं को रोक देगा। 29 दिसंबर को फिर हल्की गिरावट संभव है, लेकिन 30 दिसंबर के बाद तापमान दोबारा बढ़ने लगेगा। जनवरी के पहले सप्ताह में मौसम खुला रहेगा और उत्तर-पूर्वी मप्र को छोड़कर बाकी हिस्सों में ठंड सामान्य रहेगी।
भोपाल मौसम केंद्र के वैज्ञानिक एचएस पांडे बताते हैं कि क्लाइमेट चेंज के कारण वर्षा के दिन घटे हैं और गर्मी के दिन बढ़े हैं। इसी बदलाव के चलते इस बार कुछ शहरों में न्यूनतम तापमान में असामान्य गिरावट देखने को मिली।