
प्रशांत व्यास, नवदुनिया, भोपाल। देश में नई दांडिक व्यवस्था भारतीय न्याय सहिंता (बीएनएस) लागू होने के बाद बहुत कुछ बदला है। इस संहिता ने अब तक लूट के तौर पर दर्ज हो रहे चेन, पर्स या मोबाइल झपटकर भाग जाने के अपराध को झपटमारी में बदल दिया। इसके लिए एक नई धारा बनाई गई। पुरानी भारतीय दंड संहिता में परिभाषित लूट को झपटमारी में बदल देने का एक परिणाम राजधानी के अपराधिक ग्राफ पर साफ-साफ दिख रहा है। पिछले साल तक जिस शहर में लूट की 60-65 वारदातें साल भर में होती थीं, वहां 10 महीने में ही 165 झपटमारी हो चुकी है।
पहले मोबाइल और चेन लूटने वाली वारदातें लूट की धाराओं में दर्ज होती थीं, जिसमें 10 साल से 14 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान था। लेकिन भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने इसे 'झपटमारी' बताकर सजा को अधिकतम तीन साल तक सीमित कर दिया। इसी एक बदलाव ने सड़क अपराधियों के हौसले इतने बढ़ा दिए कि राजधानी में स्ट्रीट स्नैचिंग एक कम जोखिम, ज्यादा फायदे वाला अपराध बनकर उभर गया है। नतीजा यह कि भोपाल में मोबाइल और चेन झपटने की वारदातें दोगुनी से भी ज्यादा रफ्तार से बढ़ गई हैं। हर दूसरा स्ट्रीट क्राइम अब झपटमारी ही बन चुका है।
भीड़भाड़ वाली सड़कों, डिवाइडरों, बस स्टाप से लेकर स्कूल-कॉलेज के आसपास और मंत्रियों-वरिष्ठ अफसरों के आवासीय क्षेत्र तक में बाइक सवार बदमाश मिनटों में वारदात को अंजाम दे रहे हैं। बदली हुई कानूनी परिभाषा ने पुलिस और अपराधियों के समीकरण को पूरी तरह बदल दिया है।
लूट की धाराओं में गिरफ्तारी, सख्त पूछताछ और कोर्ट की कड़ी नजर होती थी। झपटमारी में अपराध “गैर-जघन्य” बताया गया है, जिससे पुलिस गिरफ्तारी को वैकल्पिक मानती है। कई मामलों में आरोपित को सिर्फ नोटिस देकर छोड़ दिया जाता है। तीन साल की अधिकतम सजा होने से जमानत भी बेहद आसान हो गई है।
पुलिस थानों में क्राइम रिकार्ड को दबाए रखने के लिए पुलिस भी हथकंडे अपनाती है। पीड़ितों की शिकायत पर जहां सिर्फ झपटमारी की धाराओं में केस दर्ज कर लिया जाता है तो वहीं जब आरोपित हाथ लग जाने पर पुलिस लूट की धाराएं बढ़ा देती है। पिछले दिनों टीटीनगर के बदमाश पकड़े जाने पर पुलिस ने अन्य शिकायतों पर केस दर्ज किया था। साथ ही लूट की धाराएं भी बढ़ा दी थीं।

वर्ष - वारदातें
लूट की वारदातों को झपटमारी में दर्ज करना न्याय सहिंता की कमी है। कानून की यह धारा अपराधियों के हौसला बढ़ाने वाली है। इससे सड़क पर होने वाले अपराधों की संख्या बढ़ी है और यदि पुलिस की कार्रवाई सख्त नहीं हुई तो आमजन की सुरक्षा खतरे में होगी। - मैथिलीशरण गुप्त, रिटायर्ड डीजीपी
मोबाइल और चेन झपटमारी की धाराओं को आईपीसी में भी कमजोर कर दिया गया था। इंडियन पीनल कोड अमेंडमेंट बिल 2019 के तहत 379 ए को जोड़ा गया था। जिसमें झपटमारी की घटना परिभाषित की गई थी। इस संशोधन के बाद से इस तरह के मामले जो कि सत्र न्यायालय में चलते थे। उनकी सुनवाई निचली अदालतों में होने लगी थी। वहीं अब बीएनएस में इसे नई धारा के रूप शामिल किया गया है और लोअर कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन रहते हैं। - जगदीश गुप्ता, अधिवक्ता