World Hindi Day 2024: हिंदी से पढ़ाई करने में रुचि नहीं दिखा रहे इंजीनियरिंग के विद्यार्थी, दो साल में महज 109 प्रवेश
प्रदेश भर में पिछले सत्र में 19 और इस सत्र में 90 विद्यार्थियों ने हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने हेतु लिया प्रवेश।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Wed, 10 Jan 2024 11:39:27 AM (IST)
Updated Date: Wed, 10 Jan 2024 11:39:27 AM (IST)
प्रतीकात्मक चित्रHighLights
- किताबों का हिंदी में अनुवाद करने के लिए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) को नोडल बनाया है।
- छात्रों को पढ़ाई के लिए नहीं मिल पा रहीं हिंदी में किताबें।
- इस कारण विद्यार्थियों का हिंदी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने को लेकर रुझान कम है।
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेजों में हिंदी में पाठ्यक्रम लागू हुए दो साल हो चुके हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से पिछले साल तीन और इस साल चार इंजीनियरिंग कालेजों में हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की है, लेकिन पूरी सीटें अब भी नहीं भर नहीं पा रही हैं। इस सत्र में इंजीनियरिंग में हिंदी में 180 सीटों में से 90 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। वहीं पिछले सत्र में मात्र 19 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। हालांकि अब भी कई कालेजों ने हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू नहीं की है। ऐसे में विभाग को हिंदी पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले तैयारियां पूरी करनी थी। जिन कालेजों ने कुछ पाठ्यक्रमों की हिंदी में पढ़ाई शुरू की है, वहां विद्यार्थियों को ना तो हिंदी में किताबें मिल पा रही है और ना ही प्रोफेसर मिल पा रहे हैं। इस कारण विद्यार्थियों का हिंदी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने को लेकर रुझान कम है।
कंप्यूटर साइंस पाठ्यक्रम में सीटें फुल
इंदौर स्थित एक्रोपोलिस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड रिसर्च में कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग इंडियन लैंग्वेज पाठ्यक्रम हिंदी में शुरू किया गया है। इसमें इस सत्र में सौ फीसद सीटों पर प्रवेश हुए हैं।
इस साल
कुल सीटें-180
कुल प्रवेश-90
हिंदी में किताबें अनुवाद करने की रफ्तार धीमी
आल इंडिया काउंसिल फार टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) की ओर से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की किताबों का हिंदी में अनुवाद करने के लिए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) को नोडल बनाया है। इसके लिए एआइसीटीई की ओर से आरजीपीवी को 81 किताबें अनुवाद के लिए देना था। अब तक एआइसीटीई ने 44 किताबें ही हिंदी अनुवाद के लिए उपलब्ध कराई हैं।
अभी दो साल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू की गई है। सभी कालेजों में इसकी शुरुआत नहीं हुई है।इसमें किताबों और प्रोफेसरों की कमी है। इस कारण कम विद्यार्थी प्रवेश ले रहे हैं।
- सुनीता सक्सेना, शिक्षाविद्