By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Mon, 16 Oct 2023 10:26:40 AM (IST)
Updated Date: Mon, 16 Oct 2023 10:26:40 AM (IST)
सुशील पांडेय, भोपाल। आधुनिक जीवन की भागदौड़ में हम अक्सर खुद को अपने काम में डूबा हुआ, कम्प्यूटर पर टिका हुआ या दिन भर मोबाइल पर झुका हुआ पाते हैं। आधुनिक युग की स्मार्ट जिंदगी में हम कही इतना न डूब जाएं कि स्मार्ट उपकरण हमारी रीढ़ और मस्तिष्क को बीमार बना दें।
सही पाश्चर अपनाना जरूरी
हमारी रीढ़ की हड्डी, हमारे मस्तिष्क का ही अभिन्न भाग है, जिसे स्वस्थ रखना अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के समान है। रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का आधार है और पूरे शरीर का पाश्चर इसी पर टिका होता है। हम प्रतिदिन अपने चेहरे को दिन में अनेक बार दर्पण के सामने खड़े होकर निहारते हैं, परंतु ऐसा ही क्या आप अपनी रीढ़ या शरीर के अलाइनमेंट को चेक करने के लिए करते है? हमारे शरीर का अलाइमेंट यानी हमारा पाश्चर, हमारी रीढ़ के स्वास्थ्य का मूलभूत तत्व है। हमारी रीढ़ हमारे शरीर के समग्र स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
रीढ़ को ऐसे रखें स्वस्थ
विश्व रीढ़ दिवस के मौके पर हम रीढ़ हड्डी के साथ ही मस्तिष्क को भी स्वास्थ रखने के कुछ उपाय बता रहे हैं। इस वर्ष विश्व रीढ़ दिवस की थीम मूव योर स्पाइन, रखी गई गई है, जो लोगों से सक्रिय रहकर अपनी रीढ़ की हड्डी की देखभाल करने का आह्वान करती है। पाश्चर रिहैब एक्सर्पट एवं कंसल्टेंट फिजियोथैरपिस्ट डा. रुचि सूद ने बताया कि पाश्चर का अर्थ केवल बैठने,उठने, चलने या सिर्फ खड़े होने के तरीके से नहीं अपितु यह आपके शरीर की आतंरिक संरचना को दर्शाता है। यानी जैसी हमारी स्पाइन, जोड़, एवं मांसपेशियों की स्थिति होगी, वैसा ही हमारा पाश्चर होगा। उदाहरण के लिए अपनी रीढ़ को एक इमारत के केंद्रीय पिलर के रूप में मानें। जब वह पिलर संरेखित और अच्छी स्थिति में होता है तो पूरी संरचना मजबूत और स्थिर होती है, परंतु जब वह पिलर थोड़ा भी इधर-अधर या झुका हुआ होता है तो उसका असर पूरे ढांचे पर दिखाई देता है। यही सिद्धांत हमारी स्पाइन और शरीर पर भी लागू होता है।
गुड और बैड पाश्चर को समझें
डा. रुचि ने बताया कि हम कम्यूटर स्क्रीन के सामने हो, मोबाइल पर गर्दन झुकाना हो या एक ही कंधे पर भारी बैग या पर्स उठाना हो इत्यादि हमारे शरीर के विभिन्न जोड़ों एवं मांसपेशियों पर प्रभाव डालते हैं और हमारे शरीर का प्रत्येक भाग हमारी रीढ़ से जुड़ा है। इसी कारण हमारी स्पाइन का पाश्चर बिगड़ने लगता है, जिससे दर्द और कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। जो क्षतियां हमारे भीतर होती हैं, उन्हीं का स्वरूप हमारे बाहर यानी हमारे पाश्चर के रूप में दिखाई देता है, जिसे हम गुड या बैड पाश्चर के नाम से जानते हैं। जैसे आप अपने दांतों और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों की नियमित रूप से जांच करवाते हैं वैसे ही अपने स्पाइन का स्वास्थ्य जानने के लिए पाश्चर चैक अवश्य करें या करवाएं और अपने शरीर को स्मार्ट डिवाईसेस से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाएं।
पाश्चर चेक -रीढ़ को स्वस्थ रखने की एक सरल आदत
- समय-समय पर अपने सिर, गर्दन, कंधों और कूल्हों के अलाइनमेंट को चैक करना।
- अपने एवं अपने बच्चों के डेस्क चाहे आपके कार्यस्थल, बच्चों के स्कूल या आपके घर में हो, का एर्गोनामिक्स के हिसाब से डिजाइन होना।
- अपनी आखों की नियमित रूप सें जांच करवाना, क्योंकि कई बार आंखों की मांसपेशियों में कमजोरी होने से सिर और गर्दन की स्थिति में परिवर्तन आने लगता है और हम समझ नहीं पाते की परेशानी आंखों में है या गर्दन में।
- जैसे आप अपने चेहरे को दर्पण में निहारते हैं, वैसे ही अपने स्पाइन एवं पाश्चर को भी चैक करने में दर्पण का उपयोग करें।
- आप किसी पाश्चर रिहैब विशेषज्ञ या रजिस्टर्ड फिजियो थैरेपिस्ट से भी अपना पाश्चर चैक करवा सकते हैं।
बैठने और चलने के तरीकों पर दें ध्यान
योग शिक्षक डा पूर्णिमा दाते से बताती हैं कि शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए पाश्चर सही रखना जरूरी है। आधुनिक जीवन शैली ने हमारे पाश्चर को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, जिससे रीढ़ से संबंधित कई समस्याएं सामने आ रही हैं। गलत तरीके से बैठने और चलने से शरीर का पाश्चर बिगड़ रहा है। बैठते समय यह कल्पना करें कि हमारी पीठ के पीछे दीवार है, ऐसी कल्पना करके हमेशा सीधा बैठें। कुर्सी पर पूरे समय टिककर नहीं बैठना चाहिए। गर्दन को झुकाकर टुड्डी को छाती के पास न आने दें। हमेशा गर्दन सीधी करके बैंठे। इसी प्रकार चलते समय भी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। सामने झुककर या पेट बाहर निकाल कर न चलें। आसान, योग और प्राणायाम से रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। इसमें भुजंग, शलभ, उष्ट और मर्कट आसन करने से रीढ़ की हड्डी के दर्द में आराम मिलता है। प्राणायाम करने से शरीर से कार्बनडाइ आक्साइड निकलती है और उसकी जगह आक्सीजन का प्रवाह होता है, इससे रीढ़ की हड्डी लचीली हो जाती है और शरीर को आराम मिलता है।