नईदुनिया प्रतिनिधि, बुरहानपुर। पांगरी बांध परियोजना के प्रभावित किसानों का सत्याग्रह दिनोंदिन जोर पकड़ रहा है। प्रशासन द्वारा डूब में गई कृषि भूमि का उचित मुआवजा नहीं दिए जाने के विरोध में क्षेत्र के सैकड़ों किसान बीते करीब दो माह से विरोध प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं। रविवार को उन्होंने पांगरी बांध के पास 'अन्याय की हांडी फोड़' आंदोलन किया। जिसके तहत उन्होंने हांडी पर अन्याय और अत्याचार लिख कर लटकाया और उसे फोड़ कर प्रदर्शन किया।
सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे डॉ. रवि कुमार पटेल ने आरोप लगाया कि मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में भूमि अधिग्रहण के मामले में सरकार ने किसानों से छल किया है। किसानों को अंधेरे में रखकर औने-पौने दाम में गरीब आदिवासी किसानों से जबरन अथवा दबाव में भूमि छीन ली। अब समय है कि सरकार संविधान का सम्मान करते हुए न्यायोचित मुआवजा प्रदान करे। ज्ञात हो कि इससे पहले किसान प्रतीकात्मक पत्थर खाओ आंदोलन और आंखों पर पट्टी बांध कर धृतराष्ट्र आंदोलन भी कर चुके हैं।
अन्याय हांडी फोड़ कार्यक्रम में किसानों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने 'मुआवजा दोगुना दो और अन्याय नहीं सहेंगे, अत्याचार नहीं सहेंगे' जैसे नारे लगाए। प्रशासन के समक्ष अपनी बात रखने के इस अनोखे तरीके की क्षेत्र में प्रशंसा हो रही है। डॉ. रवि कुमार पटेल ने कहा कि जिले और प्रदेश की जनता भी अब किसानों के समर्थन में आ रही है। इस दौरान किसान नंदू पटेल, राहुल राठौर, मान्य भिलावेकर, रामदास महाराज, विजय कुमार, शालिग्राम, श्रीराम, किसन, मंसाराम, माधो नाटो, बद्री वास्कले सहित अन्य किसान उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि पांध परियोजना के कारण क्षेत्र के करीब तीन सौ परिवार प्रभावित हुए हैं। इनमें से कई परिवारों की सारी कृषि भूमि बांध के डूब में चली गई है। जिला प्रशासन किसानों को कलेक्टर दर से भूमि की कीमत और उतनी ही पारितोषिक राशि दे रहा है। जबकि रवि पटेल का कहना है कि भूमि अधिग्रहण कानून में स्पष्ट उल्लेख है कि भूमि की कीमत का दोगुना मुआवजा और पारितोषिक राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि डूब में गई भूमि गन्ना, केला और कपास पैदा करने वाली भूमि थी। जो दाम प्रशासन दे रहा है उतने में दूसरी जगह कृषि भूमि नहीं खरीदी जा सकती। इसीलिए वे विरोध कर रहे हैं।
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