
बुरहानपुर, युवराज गुप्ता। Madhya Pradesh News यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि प्रदेश के ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर की एक खास धरोहर काला ताजमहल को देखकर ही मुगल बादशाह ने आगरा में बनाए ताजमहल का आइडिया लिया था। कभी बुरहानपुर की सरजमीं पर बनने वाला सफेद ताजमहल आज आगरा में देश की शान बनकर खड़ा है। आगरा में सफेद संगमरमर का सुंदर ताजमहल अपने आन में रचनात्मकता का उत्कृष्ट उदाहरण जरूर है, पर बुरहानपुर का काला ताजमहल भी एक नायाब धरोहर है।
हालांकि अभी से पहले तक यह ताजमहल काई, पक्षियों की बीट और उपेक्षा की मिट्टी से धूल धुसरित हो गया था, लेकिन अब काला ताजमहल के अब दिन पलट रहे हैं। लंबे समय से उपेक्षा का दंश झेल रही इस धरोहर की भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग ने सुध ली है और इस पर अब इसे केमिकल वॉश से पुराने स्वरूप में लाने का प्रयास किया जा रहा है।
धरोहर का केमिकल से वॉश (रासायनिक धुलाई व लेपन) करने से धीरे-धीरे काला ताजमहल भूरे रंग में दिखाई देने लगा है। इसकी रंगत निखरने लगी है। विभाग के सहायक संरक्षक सुभाष कुमार के मुताबिक पुरातत्व विभाग के रसायन विभाग भोपाल द्वारा काला ताजमहल का रासायनिक लेप किया जा रहा है। लेप के लिए पूरी धरोहर पर मचान तानकर काम किया जा रहा है।
रसायन विभाग भोपाल की टीम और अधिकारी यहां पर आए हैं। उनकी देखरेख में धरोहर का केमिकल वॉश कर केमिकल चढ़ाकर इसे संरक्षित किया जा रहा है। संभवत: एक महीने तक यह काम चलेगा। इसके बाद धरोहर मूल स्वरूप में आ जाएगा।
शाहनवाज का मकबरा है
इतिहासकार मोहम्मद नौशाद के मुताबिक काला ताजमहल में शाहनवाज खान का मकबरा है। वैसे शाहनवाज खान अब्दुल रहीम खानखाना का बड़ा पुत्र था। उनकी परवरिश बुरहानपुर में ही हुई और उनकी बहादुरी को देखते हुए उन्हें मुगल फौज का सेनापति बनाया गया। 44 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई, जिसे बुरहानपुर में उतावली नदी के किनारे दफनाया गया। कुछ दिन बाद उनकी पत्नी का भी देहांत हो गया और उन्हें भी इसी स्थान पर दफनाया गया और इसी की याद में बना है यह शाहनवाज खान का मकबरा। इसे हम साधारण भाषा में काला ताजमहल कहते हैं।
इस मकबरे का निर्माण आधा काले पत्थर से है और गुंबद ईंट व चूने से बनाया गया है। इसके अंदर बहुत ही अच्छी नक्काशी की गई है, जो ईरानी कला का एक बेहतरीन नमूना है। इस मकबरे का निर्माण 1622 से 1623 ईस्वी के बीच हुआ है। इसमें शाहनवाज खान और उनकी बीवी की मजार है। ठीक उसी तरह जिस तरह मुमताज और शाहजहां की मजार ताजमहल में हैं।
यह मकबरा बाद में ताजमहल के निर्माण के समय बादशाह शाहजहां के लिए एक मॉडल के रूप में देखा गया और बहुत कुछ इसकी डिजाइन को ताजमहल की डिजाइन में भी शामिल किया गया।
अनमोल धरोहर इतिहासकार
शहजादा आसिफ के मुताबिक यह नायाब मकबरा बुरहानपुर की अनमोल धरोहर है। गौरतलब है कि मुगल सम्राट शाहजहां की बीवी मुमताज महल का देहांत भी बुरहानपुर में हुआ था। उनकी देह को यहां ताप्ती नदी के किनारे आहूखाने में छह माह तक रखा गया था। जब आगरा का ताजमहल बनकर तैयार हुआ तो यहां से अस्थायी कब्र से मुमताज महल के शव को यहां से निकालकर आगरा में ताजमहल में दफनाया गया।
इनका कहना है
शहर के दूसरे ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण से जुड़े कार्य भी कराए जाएंगे। प्रशासन द्वारा भी धरोहरों के पहुंच मार्गों को दुरुस्त कराया जा रहा है। धरोहरों के संरक्षण को लेकर पुरातत्व विभाग के समन्वय से बेहतर कार्य करेंगे।
- राजेश कौल, कलेक्टर