बड़ामलहरा। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। ऐसे डॉक्टरों के द्वारा लोगों का इलाज किए जाने पर मरीज ठीक होने की जगह उनकी हालत बिगड़ रही है। झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
विकासखंड क्षेत्र में करीब 5 सैकड़ा से अधिक झोलाछाप डॉक्टर अवैध क्लीनिक खोल कर ग्रामीणों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। देखा जाए तो इन डॉक्टरों की शिक्षा संबंधी कोई जानकारी नहीं रहती है। कई डॉक्टरों के पास केवल आयुर्वेद की डिग्री ही होती है लेकिन वह एलोपैथिक दवाइयां रखकर इंजेक्शन व ड्रिप लगाकर मरीजों का इलाज करते हैं। ऐसा ही मामला समीपस्थ ग्राम धरमपुरा में दिखने मिला। यहां डॉक्टर मरीजों का इलाज करते तो मिले परंतु उनकी क्लिनिक के बाहर उनका नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा कोई बोर्ड नहीं लगा था।अंदर डॉक्टर साहब एक गर्भवती महिला का इलाज कर रहे थे। जिनसे पूछने पर उन्होंने अपना नाम गौतम विश्वास बताया। वह बताते हैं किए 8-10 वर्ष पूर्व वह कलकत्ता से यहां आकर लोगों का इलाज कर रहे हैं। डिग्र्री के संबंध में उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्ग गांव में बीमारों का इलाज करते रहे हैं उनसे ही हमने डॉक्टरी सीखी है। बंगाली क्लिनिक के माध्यम से छोटे से छोटे गांव में भी ग्रामीणों को सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों के हांथों अब तक कई मरीजों की जान जा चुकी है इसके वावजूद भी स्वास्थ्य विभाग गहरी नींद में सोया है। ग्राम गुलगंज निवासी एक ग्रामीण ने बताया कि हाल ही में एक झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से पनागर, डिकौली, कोंड़न गांव में 7 पालतू मवेशियों की मौत हो गई थी।
पर्चा थमाते नहीं करते हस्ताक्षर
बड़ामलहरा अंचल में ऐसे डॉक्टर मरीजों का इलाज तो करते हैं पर मरीजों को देने वाले दवाइयों की पर्ची पर अपने हस्ताक्षर तक नहीं करते। साथ ही पर्चे पर डॉक्टर का और क्लिनिक का नाम तक नहीं लिखा होता है, जिससे भविष्य में यदि मरीज की हालत बिगड़ जाए तो यह अपना पल्ला झाड़ लें। क्षेत्र में यह केवल अपने चालू नामों से पहचाने जाते हैं। इस तरह के झोलाछाप डॉक्टरों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कभी कोई ठोस कदम नही उठाए जाते बल्कि ऐसे डॉक्टरो की गल्ती सामने आने के बाद विभागीय अधिकारी मामले को शांतिपूर्वक निपटा देते हैं। स्वास्थ्य विभाग की लचर कार्यशैली से गली-गली अपनी क्लिनिक खोल कर बैठ हैं।
इनका कहना है
मुझे आपके द्वारा जानकारी हासिल हुई है, जांच के उपरांत इनके विरुद्घ कार्रवाई शुरू करूंगी।
-दिव्या अवस्थी, अनुविभागीय
अधिकारी, बड़ामलहरा
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आज ही मैं क्षेत्र में जाकर ऐसे डॉक्टरों के विरुद्घ कार्रवाई शुरू करता हूं।
रविंद्र चौकसे, अनुविभागीय
अधिकारी, बिजावर