छतरपुर( नईदुनिया प्रतिनिधि)। शहर के 25 कि मी दूरी पर स्थित ग्राम बरेठी में प्रस्तावित 25 हजार करोड़ के एनटीपीसी बरेठी सुपर थर्मर पॉवर प्लांट का काम भारतीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति न मिलने के कारण अटका है। इस प्रोजेक्ट के आने से युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खुलने की उम्मीद बढ़ गई थी, पर प्रोजेक्ट अटकने से यह सपना पूरा नहीं हो सका है।
जिले के ग्राम बरेठी में वर्ष 2011 में लगने वाले एनटीपीसी के बड़े प्रोजेक्ट के लिए 3300 एकड़ जमीन की जरुरत थी। इसके लिए वर्ष 2013 में ग्राम बरेठी, सांदनी, सतना, बसारी क्षेत्र की 2900 एकड़ भूमि अधिग्रहित करके मुआवजा भी बांटा जा चुका है। इस प्लांट से वर्ष 2017 में बिजली उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य लेकर प्लांट लगाने के लिए कई एनओसी लेने की प्रक्रिया तेजी से शुरू की गईं। इससे उम्मीद बंध गई कि यह प्लांट अंचल में युवाओं के रोजगार की नई राह खोल देगा। विभिन्न एनओसी लेने की प्रक्रिया शुरु होते ही दिक्कतें भी आना शुरु हो गईं। शुरू में इस प्रोजेक्ट से पन्ना टाइगर रिजर्व और खजुराहो के मंदिरों को नुकसान की आशंका जताकर एनओसी नहीं दी। बाद में पन्ना टाइगर रिजर्व के साथ नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) एनओसी दे दी। इसी प्रकार खजुराहो मंदिरों से ऐरियल दूरी 24 कि मी होने के कारण भारतीय पुरातत्व विभाग ने भी एनओसी जारी कर दी, पर भारतीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की इनवायरमेंटल एप्राइजल कमेटी ने अब तक एनओसी न देकर इस प्रोजेक्ट के आकार लेने की रफ्तार को ब्रेक लगा दिया है। विडंबना तो ये है, कि प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी हमेशा से रही है। क्षेत्रीय सांसद डॉ. वीरेंद्र कु मार सहित कि सी भी सांसद या विधायक ने बरेठी प्रोजेक्ट को शुरू कराने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं कि ए हैं। सही मायने में यदि इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार गंभीरता दिखाती को छतरपुर जिले की तस्वीर ही बदल जाती। बावजूद इसके एनटीपीसी प्रोजेक्ट में मदद के नाम पर सरकार ने मुंह मोड़ लिया है। यही वजह है, कि कई अनापत्तियां जारी होने के बावजूद के वल एक अनापत्ति न मिलने के कारण प्रोजेक्ट अधर में अटका हुआ है। सूत्रों की मानें तो यह बड़ा प्रोजेक्ट अटकने के बाद अब कंपनी यहां सोलर पावर प्लांट लगाने की योजना पर काम करने लगी है। जिससे 1000 मेगावाट बिजली बनाई जाएगी। इसके लिए कंपनी जमीन भी तलाशने लगी है।
पांच सौ करोड़ खर्च करके नतीजा शून्यः बरेठी एनटीपीसी प्रोजेक्ट के लिए अभी तक भूमि अधिग्रहण, बाउंड्रीबॉल और डेम निर्माण के लिए करीब पांच सौ करोड़ रुपये निवेश कि या जा चुका है। जानकारी के अनुसार एनटीपीसी के इस बड़े प्रोजेक्ट को दो चरणों में पूरा करने का डीपीआर तैयार कि या गया था। पहले चरण में 19 हजार करोड़ रुपये खर्च करके चार यूनिट लगना थीं, जिनसे 2640 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होना था। दूसरे चरण में 6 हजार करोड़ रुपये खर्च करके दो यूनिटें लगाई जाना थीं। उल्लेखनीय है कि पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए वर्ष 2014 से प्रयासरत एनटीपीसी ने कई बार एनवायरमेंटल एप्राइजल कमेटी के सामने फाइल रखी है। सबसे पहले 19 मई 2015 को, फिर जून 2016 में और तीसरी बार अगस्त 2016 को एनओसी के लिए प्रस्ताव कमेटी के सामने पेश कि या गया। जिस पर न मंजूरी दी गई न ही कमेटी ने अब तक इस पर अपना अंतिम फै सला ही दिया है। जिससे यह बड़ा प्रोजेक्ट सरकारी फाइलों में ही दबा पड़ा है।
प्लांट के लिए सतत रूप से आंदोलन जारी
जिले में एनटीपीसी को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी दिलाने की मांग को लेकर लंबे समय से सिलसिलेवार आंदोलन चल रहा है। राष्ट्रीय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर पटेरिया बताते हैं कि वे लगातार इस मांग को लेकर आंदोलन, हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं। जिला से लेकर प्रदेश व के न्द्र सरकार को दर्जनों ज्ञापन दे चुके हैं। आगे भी आंदोलन जारी रहेगा। कि सान यूनियन संषर्घ समिति के अध्यक्ष राके श मिश्रा ने बताया, कि उन्होंने 27 दिसंबर 2012 को एनटीपीसी के साथ भूमि अधिग्रहण में सबसे पहले एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कि ए थे। प्रोजेक्ट को पर्यावरणीय स्वीकृति न मिलने से कि सानों से शिक्षा, बिजली व पानी मुहैया कराने के जो वादे कि ए थे वह पूरे नहीं हो पा रहे हैं। एनटीपीसी के बजाय सोलर पावर प्लांट कतई स्वीकार नहीं कि या जाएगा। प्रदेश में जब वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी तो युवक कांग्रेस ने इस मुददे को लेकर आंदोलन कि या था।
मेरे द्वारा विधानसभा में इस मुददे को लेकर आवाज उठाई गई है। पावर प्लांट की दिक्कतें दूर करके इस शीघ्र चालू कराने के लिए विधानसभा में अशासकीय संकल्प भी लाया गया है। जिसे के न्द्र सरकार को भेजा जा चुका है।
-आलोक चतुर्वेदी
विधायक, छतरपुर।
मैं एनटीपीसी को पर्यावरण मंत्रालय से एनओसी दिलाने के लिए सतत रुप से प्रयासरत हूं। आगे प्रयासों को और तेज कि या जाएगा, अभी उम्मीद खत्म नहीं हुई है।
-डॉ. वीरेन्द्र कु मार
सांसद, टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र।