छतरपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। छतरपुर जिले के विश्व प्रसिद्ध पर्यटक स्थल खजुराहो में मतंगेश्वर महादेव मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर के गर्भ ग्रह में स्थित विशाल शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और उतना ही बाहर भी है। हर साल शरद पूर्णिमा को इस शिवलिंग की लंबाई एक इंच बढ़ती है, जिसे यहां के अधिकारी इंची टेप से नापते हैं।
खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह में लक्ष्मण मंदिर के पास स्थित मतंगेश्वर महादेव 35 फीट के वर्गाकार दायरे में बना है, जिसका शिखर बहुमंजिला और गर्भगृह वर्गाकार है। इसका निर्माण काल चंदेल शासक हर्षदेव के काल में 900 से 925 ईस्वी के बीच माना जाता है। मतंगेश्वर मंदिर की विशेषता है कि यहां विशाल शिवलिंग 8.5 फीट ऊंचा है। इसका घेरा करीब 4 फीट का है। इस शिवलिंग को लोग मृत्युंजय महादेव के नाम से भी जानते हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार प्रति वर्ष कार्तिक माह की शरद पूर्णिमा के दिन शिवलिंग की लंबाई एक तिल के आकार के बराबर बढ़ जाती है। शिवलिंग की लंबाई पर्यटन विभाग के कर्मचारी बकायदा इंची टेप से नापते हैं, तब शिवलिंग पहले की तुलना में लंबा मिलता है। मतंगेश्वर महादेव मंदिर को खजुराहो में सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शंकर के पास मरकत मणि थी, जिसे शिव ने पांडवों के भाई युधिष्ठिर को दे दी थी। युधिष्ठिर के पास से यह मणि मतंग ऋषि के पास पहुंची और उन्होंने राजा हर्षवर्मन को दे दी। मतंग ऋषि की मणि की वजह से ही इनका नाम मतंगेश्वर महादेव पड़ा, क्योंकि शिवलिंग के बीच मणि सुरक्षा की दृष्टि से जमीन में गाड़ दी गई थी, तब से मणि शिवलिंग के नीचे ही है। वैसे तो यह मंदिर शिव भक्तों से सालभर भरा रहता है। मगर महाशिवरात्रि पर अद्भुत चमत्कारी शिवलिंग के दर्शनार्थ लोगों का सैलाब मंदिर में उमड़ता है।