छतरपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। खजुराहो-ललितपुर रेलवे ट्रैक पर चलने वाली सभी ट्रेनें अब जून माह से विद्युत से चलने वाले इंजन से दौड़ने लगेंगीं। इस ट्रैक पर इलेक्ट्रिक लाइन के लिए पोल तो खड़े हो गए हैं, अब लाइन बिछाने का काम कुछ बाकी है। विद्युत लाइन चालू हो जाने से इस रूट पर रेल का सफर आसान हो जाएगा।
उत्तर-मध्य रेलवे द्वारा खजुराहो से छतरपुर, खरगापुर, टीकमगढ़ होते हुए ललितपुर तक इलेक्ट्रिक लाइन डालने का काम युद्धस्तर पर कराया जा रहा है। लाइन का विद्युतीकरण पूरा होने के बाद खजुराहो, छतरपुर के लिए लंबे रूट की नई ट्रेनें भी शुरू होंगी। ट्रेनें बढे से खजुराहो के पर्यटन व्यवसाय में भी रफ्तार आएगी। खजुराहो से ललितपुर रेल खंड विद्युतीकृत होने के बाद ट्रैक पर 70 की बजाय 110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनें दौड़ने लगेंगीं। खजुराहो-ललितपुर का 190 किमी का सफर आसान और आरामदायक हो जाएगा। खजुराहो आने वाले पर्यटकों के समय की बचत होगी, वहीं आवागमन की रफ्तार बढ़ेगी।
रेलवे झांसी मंडल के पीआरओ मनोज सिंह ने बताया खजुराहो, महोबा, झांसी लाइन को पूरी तरह से विद्युतीकृत किया जा चुका है, यहां इस समय केवल खजुराहो-ललितपुर रेल खंड ही ऐसा बचा है जो विद्युतीकृत नहीं है। इस रेल खंड को भी तेजी से विद्युतीकृत किया जा रहा है। राजनगर के आगे तक पूरे पोल खड़े हो चुके हैं, अब छतरपुर के आगे इस काम को तेजी से गति दी जा रही है। उम्मीद है जून तक विद्युत लाइन बिछाने का काम पूरा हो जाएगा। वहीं पिछले दिनों उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी ने मंडल प्रमुखों की बैठक लेकर निर्देश दिए हैं कि रनिंग लाइनों के पास काम करने वाली एजेंसियों द्वारा बहुत की उच्चस्तर की संरक्षा बरती जाए इस पर पूरी निगाह रखें। सभी निर्धारित नियमों का बिना किसी अपवाद के पालन करके काम को तेजी से पूरा किया जाए। इसके लिए आवश्यक कार्य पूरे होते ही निरीक्षण व ट्रैक प्रमाणन के बाद इस ट्रैक पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ा दी जाएगी।
8 सालों में तेजी से बढ़ी रेल सुविधाएं:
जानकारी के अनुसार 16 जनवरी 2014 को छतरपुर रेलवे स्टेशन पर पहला रेल इंजन आया था, जिससे ललितपुर से खजुराहो तक पूरे रेलवे ट्रैक का प्रथम परीक्षण किया गया। इसी पहल के तहत ललितपुर से टीकमगढ़ के मध्य 52 किमी लंबा रेलवे ट्रैक तैयार करके पैसेंजर ट्रेन का संचालन शुरू किया गया। इसके बाद ट्रैक को आगे बढ़ाकर खजुराहो तक तैयार किया गया। इसके बाद यहां तेजी से विकास कार्यों ने गति पकड़ी। दो प्लेटफार्म तैयार हो गए, कई नई सुविधाजनक ट्रेनें भी चलने लगी हैं। अब रेल लाइन का विद्युतीकरण होने के बाद एक नई सुविधा मिल जाएगी। उल्लेखनीय है कि टीकमगढ़, छतरपुर के लोगों को रेल सुविधा का सबसे ज्यादा इंताजर था। इस क्षेत्र के लोग वर्ष 1955 से खजुराहो में रेलवे लाइन की मांग को लेकर आंदोलन करके निरंतर प्रयासरत रहे। इसी का परिणाम रहा कि वर्ष 1991 में खजुराहो में रेल लाइन की आधारशिला रखी गई। तत्कालीन रेल मंत्री जॉर्ज फर्नाडीज ने अपने बजट में इस लाइन के सर्वे और अगले रेल मंत्री रामविलास पासवान ने रेलवे लाइन बनाने की घोषणा की। इसके बाद वर्ष 1998 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी व रेल मंत्री नीतीश कुमार ने रेलवे लाइन को मंजूरी देते हुए इसका शिलान्यास किया। डेढ़ दशक तक भारतीय रेल की इस महत्वकाक्षी परियोजना पर युद्धस्तर से कार्य किया गया और आखिरकार यहां के लोगों को रेल सुविधा मिल गई। अब तो इसका विस्तारीकरण किया जा रहा है।
Posted By: Nai Dunia News Network
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