बारिश थमते ही बढ़ेगी खाद की दरकार, अधिकारियों ने 5000 एनपीके और 6000 मीट्रिक टन यूरिया मांगा
दो माह पहले करीब 1500 टन यूरिया आया था। जिसमें से 750 मीट्रिक टन यूरिया सरकारी सोसाइटियों को दिया गया था और 750 मीट्रिक टन यूरिया बाजार में दिया गया था। फिलहाल सरकारी गोदामों पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है।
Publish Date: Wed, 09 Jul 2025 07:49:07 PM (IST)
Updated Date: Wed, 09 Jul 2025 07:53:24 PM (IST)
खाद की मांग पकड़ेगी जोर।HighLights
- वर्तमान में छतरपुर में अभी 65 फीसदी बुवाई हो सकी है।
- गोदाम में साढ़े सात हजार मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है।
- कृषि अधिकारियों का कहना है बुवाई का समय चल रहा है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, छतरपुर। बारिश का सीजन चल रहा है किसानों को बादलों के दो से तीन दिन के लिए निकलने का इंतजार है। जैसे ही बादल निकलेंगे किसानों के खेतों में बची हुई बुवाई शुरू हो जाएगी। क्योंकि अभी जिलेभर में करीब 65 फीसदी बुवाई हो सकी है। इधर जो मध्य प्रदेश विपणन संघ के गोदामों में डीएपी तो बिल्कुल नहीं हैं अभी करीब 2500 मीट्रिक टन एनपीके और करीब 7500 मीट्रिक टन यूरिया बचा है।
फिर भी किसानों की संख्या और बढ़ा हुआ रकबा देखते हुए विभागीय अधिकारियों ने और खाद मांगा है। उनके अनुसार जो 5000 मीट्रिक टन एनपीके और 6000 मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड की गई है।
इधर कृषि अधिकारियों का कहना है कि अभी बुवाई का समय चल रहा है। 15 जुलाई तक बुवाई की जा सकती है। लेकिन इस बार बारिश के लगातार होने से बुवाई का काम कुछ क्षेत्रों में छूटा है। इस बार तीन लाख अस्सी हजार हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। आधे से ज्यादा पूरा हो गया है।
गोदामों में दो माह से नहीं है डीएपी
छतरपुर में किसानों की दीवानगी डीएपी खाद के प्रति ज्यादा रहती है। लेकिन सरकार ने आप्शन के तौर पर एनपीके खाद को प्रोत्साहित की उपलब्धता कराई है। दो माह पहले करीब 1500 टन यूरिया आया था। जिसमें से 750 मीट्रिक टन यूरिया सरकारी सोसाइटियों को दिया गया था और 750 मीट्रिक टन यूरिया बाजार में दिया गया था। फिलहाल सरकारी गोदामों पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है।
अक्सर खाद के लिए गहराता रहा है संकट
आपको बता दें कि छतरपुर में किसानों के बीच खाद का संकट अक्सर गहराता रहा है। जहां किसान बुवाई के सीजन से पहले ही खाद खरीदकर रख लेते हैं। कुछ बड़े किसान ऐसे भी हैं जो बड़ी मात्रा में खाद खरीदकर रख लेते हैं और उसे बाद में महंगे दामों में बेचते हैं। इधर बाजार में भी सीजन के दौरान डीएपी खाद ब्लैक में बिकता रहा है। जहां मजबूर किसान बाजार से महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर होते रहे हैं।
अभी हमारे पास एनपीके और यूरिया खाद उपलब्ध है। फिर भी हमने पांच हजार मीट्रिक टन एनपीके और छह हजार मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड भेजी है। जिससे किसानों को जरूरत के अनुसार खाद मिल सकेगा। अभिषेक जैन, डीएमओ, सहकारी विपणन संघ मर्यादित छतरपुर