
नईदुनिया प्रतिनिधि, छतरपुर। क्रिकेट की दुनिया में जब भी जज्बे की मिसाल दी जाएगी, तो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले की क्रांति गौड़ का नाम जरूर लिया जाएगा। एक वक्त था जब यह लड़की गांव के मैदान में बैठकर लड़कों को क्रिकेट खेलते देखती थी, और आज वही लड़की टीम इंडिया की वर्ल्ड कप विजेता पेसर बन चुकी है।
छतरपुर के गुवारा गांव की रहने वाली क्रांति बचपन से ही क्रिकेट की दीवानी थीं। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन उनकी नजर हमेशा क्रिकेट पर ही रहती थी। उनकी बड़ी बहन रोशनी गौड़ बताती हैं कि क्रांति पड़ोस की लड़कियों के साथ कभी नहीं खेलती थीं। वे हमेशा मैदान में लड़कों को देखती रहतीं और मौका मिलने पर उनके साथ खेल भी लेती थीं।
8वीं कक्षा के बाद क्रांति ने पढ़ाई छोड़ दी, क्योंकि घर की हालत पढ़ाई का खर्च उठाने लायक नहीं थी। लेकिन उन्होंने खेलना नहीं छोड़ा।

क्रांति के जीवन का टर्निंग पॉइंट तब आया जब एक लोकल टूर्नामेंट में लड़कों की टीम में एक खिलाड़ी की कमी हो गई। टीम को पूरा करने के लिए उन्हें बुलाया गया। उस मैच में उन्होंने 25 रन बनाए और 2 विकेट लिए। नतीजा - उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ चुना गया। यहीं से उनकी प्रतिभा लोगों की नजर में आई।
साल 2017 तक क्रांति लड़कों की टीमों के साथ रबर और टेनिस बॉल से लोकल टूर्नामेंट खेलती रहीं। गांव के लोग उन्हें रोकते, पर उन्होंने सबकी परवाह किए बिना अपनी गेंदबाजी को निखारा।
क्रांति की असली पहचान तब बनी जब उन्होंने महिला सीनियर वनडे ट्रॉफी 2024 के फाइनल में बंगाल के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 4 विकेट लेकर ‘प्लेयर ऑफ द मैच’ का खिताब जीता। इस मैच के बाद से सिलेक्टरों की नजर उन पर पड़ी और उनका सफर भारतीय टीम की ओर बढ़ गया।

2025 में महिला प्रीमियर लीग (WPL) में यूपी वॉरियर्ज ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया। इस लीग में उन्होंने 8 मैचों में 6 विकेट लेकर खुद को साबित किया। इसके बाद उन्हें उसी साल श्रीलंका के खिलाफ भारतीय टीम में डेब्यू का मौका मिला।
आज क्रांति गौड़ ने भारत के लिए 15 वनडे और 1 टी20 मैच खेले हैं। वनडे में उनके नाम 23 विकेट दर्ज हैं।
नवी मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में 2 नवंबर 2025 की रात, जब भारत ने आईसीसी महिला वनडे वर्ल्ड कप जीता, तो मैदान पर खुशी के आंसू लिए क्रांति भी खड़ी थीं। पाकिस्तान के खिलाफ मैच में उन्होंने 10 ओवर में सिर्फ 20 रन देकर 3 विकेट लिए और भारत को जीत की राह पर लाकर खड़ा किया।

क्रांति की कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि हिम्मत और उम्मीद की कहानी है। उन्होंने समाज की बंदिशों, आर्थिक अभावों और असंभव दिखते सपनों को चुनौती दी। आज वे उन हजारों बेटियों के लिए प्रेरणा हैं जो छोटे कस्बों से बड़े सपने देखने की हिम्मत रखती हैं।
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भगवां के विद्यालय शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय घुवारा की पूर्व छात्रा क्रांति सिंह गौड ने आइसीसी महिला विश्व कप में ऐतिहासिक जीत दिलाई। क्रांति ने अपने विद्यालय, नगर, जिला एवं प्रदेश और देश का गौरव बढ़ाया है। क्रांति सिंह के सम्मान में विद्यालय प्राचार्य बीएल प्रजापति एवं समस्त शिक्षकों ने छात्राओं द्वारा क्रांति लिखकर मानव श्रृंखला बनाई और क्रांति के नारे लगाए। इस कार्यक्रम में विद्यालय की समस्त छात्राएं एवं समस्त शिक्षक शामिल रहे।