छिंदवाड़ा। भारतीय संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को संविधान के रूप में एक ऐसा ग्रंथ दिया है, जिसे हम एक राज ग्रंथ की संज्ञा दे सकते हैं, जो कि भारत के प्रत्येक नागरिकों को उनके मौलिक अधिकार दिए जाने के साथ ही उन्हें उनके कर्तव्यों से अवगत कराता है। भारत का संविधान दुनिया का श्रेष्ठ संविधान है। उक्त उद्द्गार गुरुवार को स्थानीय राजीव भवन में जिला अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित संविधान दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य गुरुचरण खरे ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत रत्न बाबा साहब ने संविधान की रचना कर अछूतों के उद्धार के साथ दलित मानव कल्याण को प्रोत्साहित कर सभी को समानता का अधिकार दिया है आज का दिन हम सभी के लिए गौरव का दिन है। स्थानीय राजीव भवन में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी सदस्यों ने बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जय भीम के नारे लगाए। इस कार्यक्रम में जिला महिला अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ अरुणा तिलंते, सुभाष गुलवाक़े, अनिल सोमकुंवर, प्रकाश मेहरोलिया, मुकेश खरे, सुमित भावरकर, शिवम पहाड़े सागर प्रतीक, महादेव गायकवाड, इनोद कामले, विजय बाघमारे, अनिल इंगले, सुरेंद्र पाटिल, संतोषी गजभिए, प्रतिभा ब्रम्हे किरण वंशकार, ममता चौके, ज्योति राय, सपना पवार और अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के सभी कार्यकर्ता मौजूद थे।
संविधान दिवस मनाया
डॉ आंबेडकर समता विकास समिति छिंदवाड़ा, भीमसेना के तत्वावधान में गुरुवार को संविधान दिवस मनाया गया। समिति के अध्यक्ष एसएल गेडाम और महासचिव बीएस दवंडे द्वारा मोमबत्ती, अगरबत्ती प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित किए। डॉ सीएम गेडाम नेत्र विशेषज्ञ, प्रहलाद मर्सकोले, बीएस इनवाती मंडलअभियंता एमपीईबी, डॉ सुनील श्यामकुंवर, प्रहलाद मालवी, राजू गणबीर, अनिल नागले द्वारा संयुक्त रूप से डॉ बाबासाहेब आंबेडकर के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। जिसके बाद समिति के महासचिव बीएस दवंडे द्वारा संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया गया तथा बताया की संविधान से ही हमें शिक्षा का अधिकार, रोजगार का अधिकार वोट देने का अधिकार,समानता अधिकार मिला,स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति मिली। इस अवसर पर डीडी गोंडाने, डीआर मोटघरे, एचके लोखंडे, मोहम्मद इस्लाम, सुमित भावरकर संभाग प्रभारी भीमसेना, केके पाटिल, दिनेश शेंडे, अमन जमूलकर, बेले गुरुजी, निरंजन रंगारे, धर्मदास गजभिए आदि उपस्थित रहे।