
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सीरप 'कोल्ड्रिफ' से 23 बच्चों की मृत्यु हो गई, पर निर्माता कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल के मालिक जी. रंगनाथन की एक ही रट है कि उसे कुछ पता नहीं। छिंदवाड़ा पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने उससे शनिवार को करीब छह घंटे तक पूछताछ की पर वह गोलमोल जवाब देता रहा। पूछताछ में पुलिस का पूरा फोकस इस बात पर रहा कि गड़बड़ी कैसे हो रही थी?
गुणवत्ता देखने की जिम्मेदारी किसकी थी? कफ सीरप में औद्योगिक उपयोग वाला प्रोपेलीन ग्लायकाल क्यों मिलाया गया, जो जानलेवा डीईजी में बदल गया? औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने अनदेखी क्यों की? कंपनी की कभी जांच हुई या नहीं? इन प्रश्नों के उत्तर में रंगनाथन बोला- कंपनी में सभी को अलग-अलग काम बांटकर रखा था। प्रोडक्शन का काम किसी और के पास था। मार्केटिंग का किसी के और के पास। इस कारण कहां और कैसे गलती हुई यह उसे पता नहीं है।
अब एसआईटी कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों से भी पूछताछ करेगी। इसके बाद इनमें भी कुछ को आरोपित बनाया जा सकता है। बता दें, छिंदवाड़ा पुलिस रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर शुक्रवार सुबह परासिया थाने लेकर आई थी। यहीं उसके खिलाफ पांच अक्टूबर को जहरीला सीरप बनाने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उसे 20 अक्टूबर तक की पुलिस रिमांड पर सौंपा गया है। एसपी अजय पांडे और एसआइटी प्रमुख अंजना तिवारी की उपस्थिति में उससे घटना के संबंध में प्रश्न किए गए।
अब एसआईटी उसे लेकर रविवार को तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित प्लांट पर लेकर जाएंगे। बता दें, यहां बनी कोल्ड्रिफ में 48.6 प्रतिशत डायथिलीन ग्लायकाल (डीईजी) सहित प्लांट में अन्य कमियां मिलने के चलते तमिलनाडु सरकार ने तीन अक्टूबर को कंपनी को सील कर लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की थी। डीईजी की वजह से ही किडनी खराब होने के कारण बच्चों की मौत हुई।
पैरवी के लिए आए वकील रंगनाथन की पैरवी के लिए चेन्नई से दो वकील भी छिंदवाड़ा पहुंचे हैं। उसके परिवार के लोग भी आ सकते हैं। रात में उसने चावल-दाल खाने के बाद पूरी नींद ली। उधर, बेहतर और तेजी से जांच, विवेचना के सभी पहलुओं को समेटने, साक्ष्य संकलन आदि की दृष्टि से एसआईटी में शनिवार को कार्य विभाजन किया गया। पुलिस मामले में जल्दी आरोप पत्र प्रस्तुत करने की तैयारी में है।