उज्ज्वल शुक्ला, नईदुनिया, छिंदवाड़ा। बीते एक महीने में छिंदवाड़ा का परासिया कस्बा मानो किसी तूफान से गुजरा है। जहरीले सीरप कांड में 23 बच्चों की मृत्यु ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। कोल्ड्रिफ ने किसी के घर का इकलौता बेटा छीन लिया तो किसी के यहां प्रार्थनाओं के बाद आई खुशी को एक झटके में दूर कर दिया। बच्चों की मौत के बाद स्वजन का दर्द अब और गहराता जा रहा है। जिन्होंने अपने बच्चों की जान बचाने गहने गिरवी रखे, संपत्ति बेची और उधार लिया था, आज वे कर्ज में डूबे हुए हैं।
बच्चों के माता-पिता पूछते हैं कि डॉ. प्रवीण सोनी ने ऐसी कौन सी दवा दी कि छिंदवाड़ा के चार अन्य डॉक्टर भी हमारे बच्चों को नहीं बचा सके। कोल्ड्रिफ लिखने वाले डॉ. प्रवीण सोनी और इसे बनाने वाले रंगनाथन की गिरफ्तारी और पूछताछ के बीच मोर डोंगरी गांव की गलियों में सन्नाटा पसरा है। यहां हर घर में एक जैसी कहानी है, अधूरे सपनों की, बुझी मुस्कानों की और माताओं की सूनी आंखों की।
इन्हीं में से एक हैं सीमा पवार, जिनका एक वर्ष का बेटा गर्विक भी अब दुनिया में नहीं है। 'नईदुनिया' की टीम मोर डोंगरी पहुंची। सीमा पवार का दर्द बताना मुश्किल लगता है। वह अब भी हर रात उठकर बेटे को ढूंढती हैं। कभी उसकी तस्वीर देखकर रो पड़ती हैं, तो कभी उसके खिलौनों को सीने से लगाकर बैठ जाती हैं। 15 सितंबर को ही गर्विक का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया था। दीवारों पर अब भी गुब्बारे और रंगीन झंडियां टंगी हैं- लेकिन अब वह हंसी नहीं है जो कभी गूंजती थी।
गर्विक के पिता बाबू बताते हैं कि 12 सितंबर को बेटा बीमार हुआ था। डॉ. प्रवीण सोनी की दवा से ठीक हो गया। 20 सितंबर को बेटे की तबीयत फिर खराब हुई। हम उसे लेकर डॉ. सोनी के पास गए। उन्होंने पास के मेडिकल स्टोर से दवा लाने को कहा और पहली खुराक सामने ही दिलवाई।
बच्चे को कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि उसे उल्टी-दस्त भी होने लगे। दो दिन बाद उसने पेशाब करना भी बंद कर दिया। गर्विक को चार अन्य डॉक्टरों को भी दिखाया, सभी ने नागपुर ले जाने की सलाह दी। नागपुर में 10 दिन इलाज के बाद भी बेटे की जान नहीं बची।
पचधार गांव के नीलेश सूर्यवंशी के साढ़े तीन साल के बेटे मयंक की भी मौत हो चुकी है। नीलेश ने बताया कि इलाज के लिए रिश्तेदारों और ग्रामीणों से रुपये उधार लिए हैं। हमारे पास कर्ज चुकाने का कोई साधन भी नहीं है। हमें सरकार की राहत राशि से ही उम्मीद है। मयंक का इलाज डॉ. अमित ठाकुर ने किया था, उन्होंने भी कोल्ड्रिफ दवा लिखी थी। नागपुर में करीब 14 दिन इलाज चला था। करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए। डॉ. ठाकुर पर पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई भी नहीं की है।
चाकाढाना निवासी रसीद बोसम की 14 माह की बेटी संध्या की कोल्ड्रिफ के कारण मृत्यु हो गई। संध्या की मां इतरबती ने बताया कि हमने गहने गिरवी रखकर और रिश्तेदारों से कर्ज लेकर बच्ची का इलाज कराया था। रसीद कहते हैं कि हमें सरकार से चार लाख रुपये की सहायता मिल गई है। इससे हमारी बच्ची तो वापस नहीं आएगी पर हमारा कर्ज उतर जाएगा।