तामिया। वृन्दावन धाम से पधारे महंत शिवदास महाराज के प्रवचन सुनकर श्रद्धालुजन भाव विभोर हो उठे। नवरात्र पर्व पर तामिया के तुलतुला मंदिर में प्रवचन चल रहे है। शिवदास महाराज ने व्यासपीठ से अयोध्या में राम के राजतिलक की तैयारी, कैकई के कोप भवन में प्रवेश, राजा दशरथ की मनुहार में तीन वरदान देते हुए श्रीराम को वनवास की आज्ञा देना, सीता, लक्ष्मण सहित राम का वन गमन और चित्रकूट में भरत मिलाप के प्रसंग सुनाया। महंत शिवदास महाराज ने कहा कि हमारे जीवन की जागृत स्वप्न सुसुप्ति और तैरकी चार अवस्था होती है तीन अवस्थाएं हम देखते है लेकिन आध्यात्मिक ज्ञान शक्ति की अवस्था में कम ही लोग पहुंच पाते है। तुलतुला मंदिर प्रांगण में धार्मिक आयोजनों के सहयोगी 1008 गरीबदास महाराज के प्रिय शिष्य वृन्दावन धाम के महंत शिवदास महाराज इस बार भी चैत्र नवरात्र के आयोजन में अपने मुखारबिंद से पौराणिक आख्यानों का ज्ञान देने तुलतुला मंदिर पहुंचे है। चैत्र मास के मांगलिक अवसर पर सिंहवाहिनी नैना देवी तुलतुला मंदिर परिसर में संत शिवदास महाराज की प्रतिदिन प्रवचनमाला जारी है। शिवदास महाराज ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के प्रसंग में भगवान राम के वन गमन के प्रसंग के तहत भरत राम मिलाप के साथ भरत चरित्र का सुंदर व मनोरम वर्णन किया। उन्होंने बताया कि वही चित्रकूट है जहां राम और भरत का मिलाप हुआ था। राम और भरत का मिलाप को देखकर यहां के पत्थर भी पिघल गए थे। राज्याभिषेक के लिए जो भारत ने सभी तीर्थों का जल लेकर चित्रकूट आए थे। वह जल अपने गुरु वशिष्ट के आदेश से भारत कूप में डाला था। आज भरतकूप का बड़ा ही महत्व माना जाता है। प्रसंग के माध्यम से शिवदासजी महाराज ने बताया कि भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत का। वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। स्वार्थ के कारण आज भाई-भाई जहां दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं। वहीं त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम भरत चरित्र का दूसरा उदाहरण है। भरत का विग्रह श्री राम की प्रेम मूर्ति के समान है जिससे भाई के प्रति प्रेम की शिक्षा मिलती है। इस मनुष्य जीवन में भाई व ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं है तो वह जीवन पशु के समान है। भरत और राम से भाई व ईश्वर प्रेम की सीख लेनी चाहिए, रामायण में भरत जी एक ऐसा पात्र है। जिसमें स्वार्थ व परमार्थ दोनों को समान दर्जा दिया गया। इसलिए भरत का चरित्र अनुकरणीय है। भरत का एक एक प्रसंग धर्म सार है क्योंकि भरत का सिद्धांत लक्ष्य की प्राप्ति व राम के प्रेम को दर्शाता है। उन्होंने सभी को अपने सनातन धर्म के प्रति निष्ठावान रहने का आव्हान करते हुए कहा कि आज ग्रामीण इलाकों में संत ने कहा धर्मांतरण की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। आज धर्मांतरण बड़ा विषय है। हमारे मध्यप्रदेश के जनजातीय इलाकों में यह तेजी से हो रहा है। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए धर्मांतरण को रोकना होगा। इसके लिए सभी को एकजुट होकर सनातन धर्म के लिए काम करना है। हमें हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए सनातन धर्म को मजबूत बनाना होगा। इस अवसर पर दादाजी धूनी दरबार के दादाजी भी आयोजन स्थल पर पहुंचे। इस अवसर पर पुजारी झीनानंद महाराज, पंडित प्रीतम चौबे, मोहन साहू, रज्जू साहू सहित अनेकों श्रृद्धालुगण मौजूद रहे।