Blast In Damoh : नईदुनिया प्रतिनिधि, दमोह। शहर के बड़ा पुल स्थित अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हो गया था। यह बात भी सामने आई है कि पटाखा फैक्ट्री का मालिक अभय गुप्ता पिछले हिस्से से चोरी छिपे बारूद आटो में भरकर लाता था। इस धमाके में जहां आगे का हिस्सा जमीदोज हो गया, लेकिन पिछले हिस्सा में कुछ नहीं हुआ। जिला अस्पताल में इलाजरत महिलाओं ने बताया कि यहां पर सभी महिलाएं एक ही कमरे में बैठकर पटाखे बना रही थीं और फैक्ट्री मालिक बारूद से मिश्रण बना रहा था। इसी दौरान धमाका हो गया।
मंगलवार शाम दमोह पहुंचे कमिश्नर वीरेंद्र रावत और आइजी प्रमोद वर्मा ने घायलों की जानकारी ली और घटना स्थल पहुंचकर घटना के बारे में कलेक्टर, एसपी से जानकारी ली थी। कमिश्नर श्री रावत ने कहा कि प्राइमरी जांच चल रही है। एडीएम की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई है जो इस मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी। वहीं सागर आइजी ने कहा था शुरुआती जांच में धारा 304 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
फैक्ट्री संचालक अभय गुप्ता रोज अपने बेटे को लेने स्कूल जाता था, लेकिन मंगलवार को वह नहीं गया उसकी पत्नी नेहा उसे लेने चली गई थी। उसी से लगे हुए मकान में अभय का परिवार रहता था। जब पत्नी बेटे को लेकर घर लौटी तो उसे हादसे की जानकारी मिली। मगर किसी ने यह नहीं बताया कि उसके पति की मौत हो गई। देर शाम जब पोस्टमार्टम की कार्रवाई हुई तब उसे पता चला।
घायल आरती चक्रवती ने बताया कि वह 2700 रुपये प्रति महीने पर मजदूरी में इस पटाखा फैक्ट्री में काम करती थी। घटना के समय करीब 17 महिलाएं थीं जो एक कमरे में बैठकर पटाखे बना रही थी और मालिक अभय दूसरे कमरे में बैठकर बारूद का मिश्रण बना रहा था। जैसे ही विस्फोट हुआ मकान का मलवा महिलाओं के ऊपर गिरा उसके बाद पता नहीं क्या हुआ।
घायल सुशीला चक्रवती ने बताया कि रोजगार है नहीं बच्चे पालने के लिए कुछ तो करना होगा। इसलिए एक वर्ष से इस पटाखा फैक्ट्री में काम करने लगी। विस्फोट अचानक हुआ किसी की समझ में कुछ नहीं आया और सभी महिलाएं मलबे में दब गईं।
बड़े पुल पर पिछले 11 साल से पटाखा फैक्ट्री चल रही थी जिसकी जानकारी स्थानीय लोगों सहित कोतवाली पुलिस को भी थी। लेकिन पटाखा निर्माण आगे की ओर होता था और कच्चा माल बगिया मोहल्ले वाले रास्ते से फैक्ट्री में लाया जाता था।धमाके के दो दिन पहले ही एक आटो में बड़ी मात्रा में बारूद लाई गई थी। मालिक अभय उर्फ छुट्टन गुप्ता 400 किलो पटाखा रखने और बेचने के लाइसेंस की आड़ में अवैध फैक्ट्री चला रहा था। विस्फोट से एक किमी दूर तक की जमीन हिल गई थी।
मृतक अभय गुप्ता द्वारा जिस अवैध फैक्ट्री को संचालित किया जा रहा था। इसमें सिर्फ महिला मजदूरों को ही रखा जाता था जो घटना का शिकार बन गई। घायल महिलाओं ने स्पष्ट किया कि उन्हें कम वेतन दिया जाता था, लेकिन वह इस तरह की घटना से अंजान थीं। वही इस काम के लिए गरीब महिला मजदूर आसानी से मिल जाती थी और इसी कारण से फैक्ट्री में महिलाओं को ही काम पर रखा गया था।
इस मामले में वार्ड वासियों ने बताया कि उनके द्वारा लगातार ही कोतवाली में आवेदन देकर इस अवैध फैक्ट्री के संबंध में शिकायत की थी। लेकिन पुलिस को आवेदन की जानकारी होने के बाद भी उनके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाती थी। इससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि फैक्ट्री मालिक और पुलिस के बीच किसी न किसी प्रकार का अच्छा लेनदेन होता रहता था। यही कारण है कि आज तक इस मामले में शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। जबकि इस प्रकार की अवैध पटाखा फैक्ट्री का लगातार संचालन होना और इसकी पुलिस को जानकारी ना होना अपने आप में संदिग्ध प्रतीत हो रहा है।
पटाखा बनाने में आर्सेनिक एल्यूमिनियम और पोटेशियम क्लोराइड पाउडर को निश्चित मात्रा में मिलाया जाता है। ये अत्यधिक ज्वलनशील होता है इसलिए इसे लकड़ी के उपकरण से मिलाया जाता है। एक बार में 500 ग्राम से ज्यादा मिश्रण नहीं बनाने का नियम है, लेकिन यहां एक साथ 50 किलो मिश्रण बना लिया और इसे धातु के उपकरणों से मिलाया जा रहा था। इसी दौरान घर्षण के कारण मिश्रण में विस्फोट हो गया। बम स्क्वाड टीम जब यहां पहुंची तो विस्फोटक सामग्री भी अलग-अलग जगह मिली। टीम ने सामग्री जब्त कर फैक्ट्री सील कर दी है।