दतिया (नईदुनिया प्रतिनिधि)। रतनगढ़ माता मंदिर का पुल विगत दिनों बाढ़ में टूटने के बाद रतनगढ़ माता मंदिर के दर्शनों के लिए अब श्रद्धालुओं को नवरात्रि में 80 किमी का फेरा लगाना पड़ेगा। ब्रिज कॉर्पोरेशन डिवीजन, ग्वालियर ने दावे किए थे कि डेढ़ माह में रतनगढ़ माता मंदिर का पुल प्रारंभ हो जाएगा, जबकि अब दीपावली की दौज तक पुल निर्माण नहीं हो सकेगा और उसकी अब कोई भी संभावना दिखाई नहीं दे रही है। नए पुल के बारे अधिकारियों का कहना था कि पुल के पिलर तो डाले जा चुके है, उस पर सिर्फ सीमेंट के स्लैब डाले जाने बाकी है। उसके बाद आवागमन शुरू ,हो जाएगा। पुराना पुल जो कि बाढ़ में बह गया था उसके लिए भी कोई बजट नहीं दिया गया है। नए ब्रिज का निर्माण बांध की ऊंचाई को लेकर भी अटका हुआ है।
रतनगढ़ माता मंदिर पर पुल का निर्माण नहीं होने से अब लोगों की परेशानियां भी बढ़ने लगी है। खास बात तो यह है कि नवरात्रि और दौज के दौरान यहां पर 10 लाख से अधिक लोग एकत्रित होते हैं। प्रशासन अब नवरात्रि को लेकर तैयारियों में जुटा है। वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था तो पहले से ही थी, जिला प्रशासन ने उसे मात्र ठीक करने की कवायद कर रहा है। अन्य परेशानियां तो पुल टूटने के बाद और भविष्य में भी कायम रहेगी। आगामी 7 अक्टूबर से नवरात्रि पर्व प्रारंभ होने वाला है और इसी के साथ रतनगढ़ माता मंदिर पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा। बाढ़ में पुराना पुल बहने के बाद और नए पुल के पिलर पर स्लैब नहीं डालने के कारण अब खासी परेशानियों का सामना वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को करना पड़ेगा। इसके लिए उसे अब अतिरिक्त रूप से लगभग 80 से 90 किलोमीटर का एक फेरा लगाना रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचने के लिए लगाना पड़ेगा। यह ज्यादा समय तथा ज्यादा खर्चिला श्रद्धालुओं के लिए साबित होगा। ऐसी स्थिति में नवरात्रि मैं सेवढ़ा सहित आसपास के क्षेत्रों पर भी इसका व्यापक आर्थिक असर पड़ने वाला है।
नए पुल के तैयार होने में देरी का यह है कारण
ब्रिज कॉर्पोरेशन की ग्वालियर इकाई ने पूर्व में बताया था कि सिंधु नदी पर रतनगढ़ पहुंचने वाले पुल में सिर्फ पिल्रर डाले जा चुके हैं और इन पिलरों पर अब सीमेंट के स्लैब चढ़ाना भर बाकी है। पुल को सड़क से जोड़ने वाली मार्ग तैयार किया जाना है। अतः ऐसी स्थिति में इस निर्माण के लिए ज्यादा नहीं लगने वाला है। नए पुल के निर्माण का बजट भी स्वीकृत है, परंतु यह बात हकीकत से कोसों दूर है। जिला प्रशासन के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार मड़ीखेड़ा डैम की ऊंचाई के संदर्भ में अभी यह तय नहीं हुआ है कि उसकी ऊंचाई कितनी बढ़ेगी। डैम की ऊंचाई के हिसाब से ही इस पुल की ऊंचाई तय की जानी है। इसके बाद ही इस पर स्लैब रखे जाएंगे और पुल की ऊंचाई या कम या ज्यादा करने पर इसके निर्माण पर आने वाला खर्च बांध परियोजना द्वारा दिया जाएगा अथवा ब्रिज कॉर्पोरेशन इस खर्च को वहन करेगा। अभी यह सब बातें बांध परियोजना और ब्रिज कॉर्पोरेशन के मध्य तय ही नहीं हो पाई है। इसी कारण इस रतनगढ़ माता मंदिर मार्ग का पुल का निर्माण काफी लंबे समय से अधूरा पड़ा हुआ है, जबकि जो पुराना पुल है, वह बाढ़ में पूरी तरह से बह गया है और उसको ब्रिज कॉर्पोरेशन विभाग पहले से ही लॉस अथवा डैमेज की श्रेणी में मान रहा था। ऐसी स्थिति में पुराना पुल की मरम्मत का बजट का भी कोई सवाल ही नहीं उठता है।
यह रहेगी वैकल्पिक व्यवस्था
रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचने के लिए अब श्रद्धालु सेवढ़ा नहीं आएंगे। पहले पुल ठीक होने पर यह ट्रैफिक 80 फीसद सेंवढ़ा तक आता था। इसके बाद पुल से होकर लोग रतनगढ़ मंदिर पहुंचते थे। यहां से जालौन उप्र के श्रद्धालुजन यहां से आते थे। इसके लिए ग्वालियर से आने वाले श्रृद्धालु बेहट मार्ग से जबकि इटावा, जालौन, उरई, भिंड आदि स्थानों से आने वाले लोग खमरौली (मंगरौल) के रास्ते से झांसी, शिवपुरी, गुना, डबरा, पिछोर, दतिया आदि स्थानों से लोग देवगढ़ मार्ग से चितई मार्ग होते हुए रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचेंगे। इस तरह सेवढ़ा में यह श्रद्धालु इस बार नहीं आएंगे। यह इस मार्ग से आने में श्रद्धालुओं को लगभग 80 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ेगी। वर्तमान में भी यदि सेवढ़ा से रतनगढ़ माता मंदिर भी जाना होता है, तो 27 किलोमीटर लहार की दूरी तय करके चितई मार्ग पर जाकर रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचना पड़ रहा है। यहां से भी लगभग 60 किलोमीटर की दूरी अब रतनगढ़ माता मंदिर की हो गई है।
वर्जन
रतनगढ़ माता मंदिर का जो वैकल्पिक मार्ग बताया गया है, वह पूर्व से ही मौजूद है। जिला प्रशासन उसे ठीक कर रहा है, ताकि रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचने में लोगों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो। 80 फीसद श्रद्धालु इसी मार्ग से रतनगढ़ माता मंदिर पहुंचेंगे। दौज पर्व में अभी काफी समय है। उसी दौरान सर्वाधिक भीड़ यहां होती है। जिसकी हमने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। नवरात्रि पर्व पर भी रतनगढ़ माता मंदिर की तैयारियों भी अंतिम चरणों में चल रही है।
अनुराग निंगवाल एसडीएम सेवा, जिला दतिया।