भांडेर। नईदुनिया न्यूज।
शासन ने घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ जातियों में उपजाति पाल, बघेल, गड़रिया जिनकी मुख्य जाति धनगर है, को भी शामिल कर लिया है। यह अनुसूची में 30वें क्रमांक पर दर्ज है और इससे संबंधित आदेश 15 फरवरी को जारी भी हो चुके हैं। इस मांग को लेकर धनगर समाज लंबे समय से आंदोलन कर रहा था। अब शासन ने उनकी मांग को मान लिया है। इसके बाद इन जातियों के लोगों के तहसील कार्यालय में जाति प्रमाणपत्र भी बनाए जाने लगे हैं। यह बात पंडोखर के नजदीक पाल ढाबा पर आयोजित पाल-बघेल समाज के आयोजित सम्मेलन में मुख्य अतिथि ज्ञानसिंह बघेल ने कही।
इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिल भारतीय पाल, बघेल समाज राजा भैया पाल, जगत सिंह बघेल, प्रताप पाल, ग्याप्रसाद पाल आदि ने भी अपने संबोधन के माध्यम से सम्मेलन में मौजूद सजातियों को शासन की योजना का लाभ कैसे लेना है, इस बारे में जानकारी दी।
पाल महासभा के ग्याप्रसाद पाल ने बताया कि इससे पहले पाल, बघेल, गड़रिया आदि उपजातियां पिछड़ा वर्ग सूची में 23वे नंबर पर शामिल थे। जबकि इन उपजातियों की मुख्य जाति धनगर है, जो घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ में अनुसूची में 30वें क्रम पर अंकित थी। पाल, बघेल, गड़रिया आदि का मुख्य व्यवसाय पशुपालन था और इसके चलते वे एक स्थान से दूसरे स्थान को आते-जाते थे। ऐसे में वे आर्थिक रूप से उतने सुदृढ़ नहीं हो पाए। आज भी धनगर जाति की बड़ी जनसंख्या आर्थिक रूप से सुदृढ़ नहीं है।
सम्मेलन के दौरान वक्ताओं ने उपस्थित सजातीय लोगों को प्रमाणपत्र बनवाने संबंधी आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी दी। वहीं इस मामले में भांडेर तहसीलदार सूर्यकांत त्रिपाठी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि भांडेर में घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ (धनगर) जाति प्रमाणपत्र बनने लगे हैं। आवेदक इसके लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ लोकसेवा केंद्र पर आवेदन कर अपना जाति प्रमाणपत्र बनवा सकता है।