विनय बोथरा बागली(नईदुनिया)
लाकडाउन में लोगों के सामने काम संकट हैं, लेकिन बागली क्षेत्र में तेंदूपत्ता से पांच दिनों में पांच हजार परिवार के 1500 से ज्यादा मजदूरों करोड़ों का संबल मिला है।
क्षेत्र में 17 मई से चल रहे तेंदूपत्ता तोड़ने और संग्रहण का कार्य पूर्ण हो गया। मात्र पांच दिन में जिले भर में पचपन हजार से अधिक मानक बोरों का लक्ष्य पूर्ण कर 12 करोड़ रुपए मजदूरी के रूप में नगद वितरण हुआ है। उपवनमंडलाअधिकारी अमित सोलंकी ने बताया की जिले के इस लक्ष्य में अकेले बागली वन मंडल में ही 18200 मानक बोरों के निर्धारित लक्ष्य से अधिक 20300 मानक बोरों का संग्रहण हो गया है। लगभग पांच हजार परिवार के पंद्रह हजार सदस्यों को पांच दिन में पांच करोड़ रुपए की मजदूरी हाथोंहाथ नगद मिल गई और लगभग इतनी ही राशि बाद में बोनस के रूप में भी मिल सकती है।
प्रत्येक सदस्य को तीन से चार हजार मिलेंगे
सोलंकी ने बताया कि प्रति सदस्य को तीन से चार हजार रुपए यानी प्रति परिवार दस से बीस हजार रुपए की नगद राशी मिली है। इस प्रकार वनांचल में रहने वाले परिवारों के लिए तेंदूपत्ता प्रकृति का वरदान साबित हो रहा है। मजदूर परिवारों के लिए प्रमुख रोजगार और कमाई का साधन बन गया है। पिछले तीन साल से लगातार इतनी ही राशी मजदूरी के रूप में नगद बट चुकी है। पिछले साल 2020 का बोनस आना अभी शेष ही है।
बागली का पत्ता सर्वाधिक भाव में बिका
जिले में बागली व कन्नाोद वनमंडल में सबसे अधिक पत्ता होता है। इस साल जिले में बागली वनमंडल की पोलखाल समिति का पत्ता सरकारी भाव 2500 रुपए मानक बोरा भाव के विरुद्ध एक दम उम्दा क्वालिटी का होने से 7500 रुपए मानक बोरे के मान से बिका। अन्य समितियों का तेंदूपत्ता कहीं तीन हजार से पांच हजार तक औसत बिका है। प्रदेश स्तर पर भी बागली मंडल का पत्ता मंडला,खरगोंन सहित सर्वाधिक भाव में बिकने वाले प्रदेश के प्रथम पाँच जिलो में शामिल है।
ये कारण है जिले बेहतर तेंदूपत्ता होने का
डीएफओ पीएन मिश्रा ने बताया की बागली के घाट नीचे का पुंजापुरा से लेकर पोलाखाल, रतनपुर एवं उदयनगर के आसपास के इस जंगल में बाहरी लोगों का दबाव कम है। जंगली जानवर की अनेक प्रजाति के पुनरुत्पादन होने, नदी नाले होने से यहां की मिट्टी की नमी शोषण क्षमता अधिक है। अधिक नमी और अधिक गर्मी के कारण यहां का मौसम और मिट्टी तेंदूपत्ता के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इससे पत्ते की ग्रोथ बहुत अच्छी होती है। पत्ते की साइज बड़ी व उसका ठंडल लंबा होने से बीड़ी अच्छी क़स्मि की ्यादा बनती है।
खास खास...तेंदूपत्ते के बारे में यह भी जानिए
1-तेंदूपत्ता की एक गड्डी में पचास पत्ते होते हैं। पचास पत्ते की एक गड्डी के 2.50 रुपए मिलते हैं।एक मानक बोरे में एक हजार गड्डी आती है और इसके 2500 रुपए मिलते हैं।
2-तेंदूपत्ता संग्राहकों को बीमा के साथ साथ उनके बच्चों को एकलव्य योजना में छात्रवृत्ति भी मिलती है।
3-तेंदूपत्ता के लाभांश में से 70 प्रतिशत राशि बोनस के रूप में और शेष 30 प्रतिशत राशि से गांव विकास के कार्य होते हैं।
कोविड में चुनौती थी, लेकिन टीम ने किया बेहतर कार्य-
कोरोना महामारी के कारण तेंदूपत्ता तोड़ने चुनौतीपूर्ण था। इस दौरान मौसम भी बदलाव हुआ। वन विभाग ने बागली की 135 फड़ सहित जिले की सभी 468 फड़ों के फड़ मुंशियों ,फारेस्टगार्ड , संग्रहण समिति के सदस्यों की सुरक्षा के लिए मास्क सैनिटाइजर ,फेसशील्ड भी वितरण की।
जांच भी समय समय पर करवाई गई।
-दो साल से उत्पादन बेहतर-
दो साल से तेंदूपत्ता का अच्छा उत्पादन हो रहा है। 2020 मे जिले में 60 हजार बोरी व 2021 में भी लगभग इतना ही उत्पादन हुआ जबकि इसके पहले 2019 में इससे आधा ही हो पाया था।