
नईदुनिया प्रतिनिधि, देवास। कोतवाली पुलिस ने ऐसे गिरोह को पकड़ा है, जो साइबर ठगी के रुपयों के लेनदेन के लिए खाते खुलवाकर बेचता था। इस गिरोह के सदस्यों के साथ ही पुलिस ने खाते बेचने वालों को भी आरोपित बनाया है। पकड़े गए 12 आरोपितों में से एक महिला सहित पांच ने म्यूल अकाउंट बेचने का काम किया। आरोपितों ने शातिराना ढंग से शहर के दो बैंकों में 78 खाते खुलवाए और इन्हें ठगों को बेच दिया। अभी तक की जांच में 7.5 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेनदेन इन खातों में पाया गया है। आरोपितों ने ठगी के रुपयों से डिजिटल करंसी में बदलकर दोगुने से ज्यादा दामों पर बेचा।
बुधवार को पुलिस अधीक्षक पुनीत गहलोत ने पत्रकार वार्ता में बताया कि पिछले दिनों कोतवाली थाने में एक व्यक्ति ने शिकायत की थी कि उसके नाम से खुलवाए गए बैंक खाते, एटीएम कार्ड, पासबुक एवं चेकबुक का धोखाधड़ी पूर्वक दुरुपयोग किया गया है। शिकायत पर कोतवाली टीआइ श्यामचंद्र शर्मा के नेतृत्व में साइबर सेल ने विशेष टीम का गठन किया। टीम ने जांच करते हुए 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से सात ठग और पांच खाता बेचने वाले हैं।
पुलिस के अनुसार आरोपित तीन हजार रुपये में बैंक खाते खुलवाते और इन खातों को साइबर ठगी करने वालों को 15 हजार रुपये में बेच देते थे। शुरुआती जांच में पुलिस ने कुल 78 बैंक खातों की जानकारी बैंकों से निकाली, जिनमें पिछले कुछ समय में 7.5 करोड़ रुपये साइबर ठगी के आए।
पुलिस के अनुसार आरोपित इरशाद शेख एवं आसिम शेख युवाओं को प्रलोभन देकर यूको बैंक एवं बैंक ऑफ महाराष्ट्र में नए खाते खुलवाते थे। खाताधारकों से पासबुक, एटीएम कार्ड एवं सिम लेकर इन्हें आरोपित अकबर खान व हर्ष प्रजापति को बेचा जाता था।
अकबर व हर्ष BINANCE एवं BYBIT एप्लिकेशन के माध्यम से डिजिटल करंसी खरीदते थे। इस डिजिटल करंसी को टेलीग्राम पर महंगे दामों पर साइबर ठगों को बेचा जाता था और साइबर ठगों से मिलने वाली बड़ी राशि देवास से खरीदे गए खातों में पैसा ट्रांसफर कराया जाता था।
अकबर और हर्ष साइबर ठगी के रुपये आने के बाद खाते होल्ड होने से पहले तत्काल नगद निकासी करवाते थे। इसके अलावा आरोपितों ने पेट्रोल पंप व अन्य संस्थानों की पीओएस मशीनों से भी कमिशन देकर नगद निकासी की है।