Dewas Lok Sabha Election Result 2024: देवास : देवास लोकसभा सीट से भाजपा के महेंद्र सिंह सोलंकी 4 लाख 23 हजार 409 मतों से जीते। कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय को हराया। सोलंकी ने पिछले चुनाव की जीत का रिकार्ड तोड़ा। 2019 में 3 लाख 72 हजार मतों से जीते थे।
देवास-शाजापुर लोकसभा सीट पर भाजपा के महेंद्र सिंह सोलंकी का कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय से मुकाबला है। 1984 और 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो लगातार भाजपा ही इस सीट पर काबिज रही है। सोलंकी मौजूदा सांसद हैं। जज की नौकरी छोड़कर 2019 में पहली बार सांसद बने थे। राजेंद्र मालवीय पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पिता राधाकिशन मालवीय मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। पिता दो बार देवास सीट से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों ही बार हारे। राजेंद्र मालवीय तराना और सांवेर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन हार गए।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कबीर भजन गायक पद्मश्री प्रह्लादसिंह टिपानिया को टिकट दिया था। भाजपा के सोलंकी ने उन्हें लगभग तीन लाख 72 हजार वोट से अधिक मतों से पराजित किया था। हार के बाद टिपानिया राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो गए और इस चुनाव में भी कहीं नजर नहीं आए। भाजपा मोदी की गारंटी और राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ चुनाव लड़ी तो कांग्रेस ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा की दुहाई दी।
देवास-शाजापुर लोकसभा क्षेत्र में चार जिलों की आठ विधानसभा सीटें शामिल हैं। देवास जिले की देवास, सोनकच्छ व हाटपीपल्या सीट, शाजापुर जिले की शाजापुर, शुजालपुर व कालापीपल सीट, आगर जिले की आगर व सीहोर जिले की आष्टा सीटें हैं। आठों सीटों पर 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा जीती।
लोकसभा क्षेत्र की खासियत
देवास-शाजापुर संसदीय सीट का इतिहास रोचक है। यह सीट मध्यभारत कही जाती थी। 1951 में पहली बार आम चुनाव हुए। तब मध्य भारत के नाम से क्षेत्र की पहचान थी। मप्र का गठन होने के बाद दूसरी बार 1957 में आम चुनाव हुए। 1967 से यह शाजापुर-देवास संसदीय सीट रही, जिसमें देवास का आधा हिस्सा जोड़ दिया। कुछ समय बाद देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र नाम हुआ। 2008 से देवास संसदीय सीट नाम किया गया।
यह सीट भाजपा के प्रभाव वाली रही। कांग्रेस दो बार ही जीत सकी। बाहरी नेताओं ने ही ज्यादातार प्रतिनिधित्व किया। कुछ समय के लिए इंदौर व उज्जैन संसदीय सीट का हिस्सा भी रही। भाजपा के फूलचंद वर्मा और थावरचंद गेहलोत इसी सीट से 4-4 बार सांसद रहे। वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय के पिता राधाकिशन मालवीय दो बार इस सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।
क्षेत्र की राजनीति के लिहाज से ये चुनाव इसलिए अहम रहा क्योंकि भाजपा-कांग्रेस दोनों के ही नेताओं की साख दांव पर लगी। कांग्रेस में पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा फ्रंट पर रहे तो भाजपा में प्रत्याशी खुद की टीम के साथ चुनाव लड़े, स्थानीय संगठन व नेताओं से तालमेल कम ही दिखा। शिकायत तक हुई। टिकट कटवाने के लिए पत्र लिखे गए।
इधर, वर्मा पिछला चुनाव सोनकच्छ से हारे हैं, लिहाजा उन्होंने सोनकच्छ विधानसभा क्षेत्र में ही पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट की सभा करवाई, ताकि गुर्जर वोटों को साधा जा सके। भाजपा छोड़ कांग्रेस में गए पूर्व सीएम स्व. कैलाश जोशी के बेेटे दीपक जोशी (पूर्व मंत्री) चुनावी परिदृश्य से गायब ही रहे। जोशी के पुत्र जयवर्धन भाजपा के लिए प्रचार करते दिखे।
देवास की उज्जैन से नजदीकी के चलते सीएम डा. मोहन यादव का भी इस सीट पर फोकस रहा और वे रोड शो करने आए। मार्च माह में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा शाजापुर होते हुए देवास जिले के विजयगंज मंडी गांव से गुजरकर उज्जैन गई थी, लेकिन उनकी यात्रा का इस सीट पर प्रभाव नहीं दिखा। उनके सामने भाजपा कार्यकर्ताओं के मोदी-मोदी के नारे लगाए। आलू भेंट किए और सोना देने की मांग की। गांधी मुस्कुराए और कार्यकर्ताओं की मांग पर फ्लाइंग किस दी।