
देवास(नईदुनिया प्रतिनिधि)। जब पता चला कैंसर है तो पैरों तले जमीन खिसक गई, लेकिन बेटी-बेटा और पति ने साथ दिया। डाक्टर ने हिम्मत दी। मैं खुद भी नर्स हूं। कई मरीजों को बीमारी को हराते हुए देखते हैं। मरीजों को हम खुद मोटिवेट करते हैं। कि वे आत्मविश्वास से बीमारी से जंग जीतेंगे। मुझे खुद यकीन था कि मैं कैंसर को हरा दूंगी। छह माह इलाज के बाद अब मैं ठीक हूं और अपनी ड्यूटी कर रही हूं।
यह कहना है कि जिला अस्पातल की वरिष्ठ नर्स कविता सरवटे का। साल 2020 नवंबर में उन्हें बच्चेदानी का कैंसर हुआ था। छह माह तक उन्होंने कैंसर से जंग लड़ी और कैंसर को हराया। नर्स कविता ने बताया कि बीमारी की पहचान होने पर अचानक लगा कि कैसे कैंसर हो गया है। खुद हिम्मत से काम लिया। बेटी व पति ने मेरी देखभाल की। बेटा उस वक्त विदेश में था। उसे भी कैंसर के बारे में पता चला तो वो भी चिंता में आ गया। वह विदेश से सुबह शाम मुझसे बातकर हिम्मत देता था। घर पर बेटी व पति ने मेरी देखभाल की। कीमोथैरेपी के बाद करीब 10 दिन बहुत ही मुश्किल होते थे। 10 दिन तक बेड ही रहना होता है। ऐसे में पति व बेटी ने मेरी पूरी देखभाल की। कैंसर को हराने में परिवार ने पूरा सपोर्ट किया है। छह माह इलाज के बाद मैं अब पूरी तरह से ठीक हो गई हूं। कैंसर को हराने के बाद जिला अस्पताल में अपनी ड्यूटी कर रही हूं।
जिला अस्पताल में मरीजों को कीमोथेरेपी की जाती है। जिले में करीब 12 मरीज रजिस्टर हैं। हमारे यहां संदिग्ध मरीजों को जांच प्राथमिक जांच के बाद इंदौर भेजते हैं। वहां से जो प्रोटोकाल दिया जाता है। उसके मुताबिक जिला अस्पताल में आगे का इलाज शुरू किया जाता है।
- डाक्टर बीआर शुक्ला, एमडी मेडिसिन, जिला अस्पताल