नईदुनिया प्रतिनिधि, देवास। बैंक संपत्तियों को नीलामी के माध्यम से दिलवाने का लालच देकर कई लोगों से धोखाधड़ी का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। देवास के एक दंपति पर आरोप लगा है कि उन्होंने एक फर्म बनाकर लोगों से करोड़ों रुपये ऐंठ लिए और जब लोग अपने रुपयों के दबाव बनाने लगे तो पति फरार हो गया। पुलिस ने दंपती के खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर पत्नी को हिरासत में लिया है।
सिविल लाइन पुलिस के अनुसार आरोपित आनंद देवकर और उनकी पत्नी रूपाली देवकर ने बैंक नीलामी की संपत्तियों को दिलवाने के नाम पर 10 लोगों से कथित तौर पर करोड़ों रुपये से अधिक की ठगी की। मामले में और भी ठगे गए फरियादी सामने आ सकते हैं। कुछ दिन पहले सिमरोल के पास आनंद की कार और मोबाइल लावारिस हालत में मिले लेकिन आरोपी का कोई सुराग नहीं है।
फरियादी अश्विन यादव की शिकायत पर पुलिस ने धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों की धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायत के अनुसार फरियादी 15 साल से आनंद देवकर को जानते हैं। आनंद स्टाफ वेंडर का काम करता है और उसकी फर्म इंदौर टोटल साल्यूशन व इंदौर टोटल साल्यूशन एलएलपी के नाम से रजिस्टर्ड हैं, जिसमें उसकी पत्नी रूपाली पार्टनर है।
20 सितंबर 2025 को अश्विन को एचडीएफसी बैंक, इंदौर से अपने घर को बंधक रखकर 35 लाख रुपये का लोन मिला। वे उसी दिन दोपहर 4 बजे आनंद के मुखर्जी नगर स्थित घर गए। वहां आनंद और रूपाली ने लोन की राशि को बिजनेस में निवेश करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि रूपाली के पिता अनिल नलगे मुंबई में प्रापर्टी का काम करते हैं और उनके पास बैंक नीलामी की कई संपत्तियां हैं।
आनंद ने अपने मोबाइल पर संपत्तियों के फोटो और वीडियो दिखाए। विश्वास में आकर अश्विन ने मुंबई के साकीनाका में कथित 150 फ्लैट्स में निवेश का फैसला किया। आनंद ने सुझाव दिया कि एक भागीदारी फर्म बनाकर उनकी फर्म के जरिए शार्ट टर्म निवेश करें, जिससे ज्यादा मुनाफा होगा।
आनंद ने अपनी फर्म के एयू बैंक खाते में 4-5 बार में अश्विन से 16 लाख 53 हजार रुपये ट्रांसफर करवाए। इसके बाद और निवेश का दबाव बनाया। आनंद ने अश्विन के मोबाइल नंबर पर अपने नंबर से 7 डीडी (4 एयू बैंक और 3 आईसीआईसीआई बैंक) भेजे। साथ ही बैंक का सेल लेटर भी भेजा।
आनंद ने दावा किया कि इन पैसों से नीलामी में प्रापर्टी खरीदी गई है। जब अश्विन ने मुनाफे के बारे में पूछा, तो आनंद टालमटोल करने लगा। शक होने पर अश्विन ने डीडी के प्रिंटआउट निकाले और एयू बैंक में जांच की, जहां सभी डीडी फर्जी निकले।
जानकारी के अनुसार वास्तविक ठगी की राशि 15 करोड़ रुपये से अधिक है। आनंद और रूपाली ने 8 अन्य लोगों के साथ भी ऐसी ही ठगी की, जिनसे नगद और बैंक ट्रांसफर के जरिए रकम ऐंठी गई। इस मामले में पुलिस एफआईआर के अनुसार 10 अन्य लोगों ने भी शिकायत की है, जो सभी देवास निवासी हैं। पुलिस ने मामले में आरोपित आनंद देवकर की तलाश शुरू कर दी है। साथ ही व्हाट्सएप चैट, डीडी और बैंक स्टेटमेंट भी जब्त किए हैं।