
नईदुनिया प्रतिनिधि, खंडवा/देवास। लगभग 40 साल का इंतजार खत्म हुआ। मप्र के स्थापना दिवस पर निमाड़ को ओंकारेश्वर वन्य प्राणी अभयारण्य की सुविधा मिलने की घोषणा मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने की। इसका क्षेत्रफल लगभग 611 वर्ग किमी रहेगा। समस्त प्रक्रियाएं पूर्ण कर जिले से प्रस्ताव शासन के पास भेजा गया था, लेकिन चार दशकों से योजना कागजों से बाहर नहीं आ सका। अधिसूचना जारी होते ही ओंकारेश्वर अभयारण्य अस्तित्व में आ जाएगा।
यह निमाड़ का सबसे बड़ा वन्य प्राणी अभयारण्य होगा। इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर के बैकवाटर व नर्मदा नदी के आसपास बनेगा। इसमें पुनासा, मूंदी चांदगढ़ वन परिक्षेत्र के अलावा देवास जिले का वनक्षेत्र शामिल है। वन विभाग ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और संबंधित ग्राम पंचायत की सहमति के साथ स्टेटस रिपोर्ट सहित प्रस्ताव बनाकर भोपाल मुख्यालय को भेजा है। अभयारण्य तेंदुए का नया ठिकाना बन गया है। वर्तमान में यहां 100 से अधिक तेंदुए हैं।
निमाड़ के जंगल में वन्य प्राणियों को सुरक्षित आवास और परिवेश मिलने के साथ ही बाघों की दहाड़ सुनने और सैलानियों को सेंचुरी घूमने की सुविधा मिल सकेगी। अभयारण्य से बाघ, तेंदुआ, सियार, चीतल, भालू जैसे वन्य प्राणियों को बेहतर परिवेश के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। यहां तेंदुओं की संख्या को देखते हुए जल्द ही 500 हिरण छोड़े जाएंगे। वन मंडल अधिकारी राकेश डामोर ने बताया कि ओंकारेश्वर वन अभयारण्य का प्रस्ताव आवश्यक कार्रवाई के साथ मुख्यालय भेज दिया गया है।
अभयारण्य के लिए जरूरी सभी संसाधन व तैयारी लगभग हो चुकी है। अधिसूचना जारी होने का इंतजार है। उल्लेखनीय है कि सामान्य वनमंडल खंडवा के कुल वनक्षेत्र 283773.23 हेक्टेयर अंतर्गत प्रस्तावित ओंकारेश्वर अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 61407.09 हेक्टेयर है। इसमें खंडवा वनमंडल अंतर्गत पुनासा, मूंदी, चांदगढ़, बलडी परिक्षेत्र शामिल हैं।
यह भी बता दें कि ओंकारेश्वर अभयारण्य कारिडोर के तहत देवास जिले में करीब दस-बारह साल पहले पीपरी-पुंजापुरा में निर्माण कार्य किए गए थे। तार फेंसिंग भी की गई थी। बागली जनपद कार्यालय के समीप भवन बनाया गया था, जिसे एसडीओ कार्यालय बनाने की बात कही जा रही थी। इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया और योजना कागजों में उलझ गई। उस समय बनाए गए कई भवन अब जीर्ण शीर्ण हालत में हैं।