
दीपक विश्वकर्मा, नईदुनिया, देवास: देवास जिले के घने और विस्तृत जंगल एक बार फिर राष्ट्रीय महत्व के महाअभियान का हिस्सा बनने जा रहे हैं। 1 दिसंबर से अखिल भारतीय बाघ गणना 2026 (All India Tiger Census 2026) का पहला चरण शुरू होगा, जिसमें देवास के लगभग 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फैले जंगलों में बाघों की मौजूदगी के वैज्ञानिक प्रमाण जुटाए जाएंगे।
वन विभाग के अनुसार, इस बार सर्वे के लिए 500 से अधिक वनकर्मी और प्रशिक्षित वालंटियर को तैनात किया गया है, जो तय प्रोटोकॉल के अनुसार पगमार्क, स्कैट, मूवमेंट, कैमरा फुटेज और प्रेबेस का विस्तृत दस्तावेज तैयार करेंगे।
बता दें कि पिछली बाघ गणना (2022) में हुई थी, जिसमें देवास जिले में 7 बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, जबकि अनौपचारिक आंकड़ों और मौजूदा मूवमेंट के आधार पर वास्तविक संख्या इससे अधिक मानी जाती रही है। इस बार संख्या में इजाफा लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि खिवनी वन्य प्राणी अभयारण्य में ही अब 10 से अधिक बाघों की स्थायी मौजूदगी देखी जा रही है।
खिवनी में पिछले कुछ वर्षों में बाघों की गतिविधि लगातार बढ़ी है। यहां बाघों द्वारा प्रजनन, शिकार और स्थायी आवास बनाने के प्रमाण मिले हैं। बाघ अब रेजिडेंट पापुलेशन की तरह स्थिर हो चुके हैं। पिछले कुछ दिनों से यहां दिल्ली से ग्लोबल टाइगर फोरम की टीम भी पहुंची है।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व के अलावा को छोड़कर खिवनी को देशभर के उन तीन इलाकों में चुना गया है, जहां से टाइगर आते हैं। टीम द्वारा विश्लेषण के बाद सुधार और यहां की संभावनाओं पर आगे की रूपरेखा बनेगी।
जिले के अन्य वन क्षेत्र भी गणना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उदयनगर, बागली, कांटाफोड़, पानीगांव और हाटपिपल्या के जंगलों में पिछले वर्षों में बाघों की मूवमेंट दर्ज हुई है। प्रथम चरण में दो सबडिविजन में 1 से 8 दिसंबर और दूसरे चरण में दूसरे अन्य सब डिविजन में 18 से 26 दिसंबर तक गणना होगी।
अधीक्षक खिवनी अभयारण्य विकास माहोरे ने बताया कि गणना गणना के लिए तैयारी हो चुकी है। कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।