184 ग्रामों की कुलदेवी हैं बाग की बाघेश्वरी देवी
धार जिले के इस मंदिर को मालवा के साथ-साथ निमाड़ के 184 ग्रामों की कुलदेवी के रुप में मान्यता प्राप्त है।
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Publish Date: Wed, 05 Oct 2016 04:41:12 PM (IST)
Updated Date: Thu, 06 Oct 2016 08:21:24 AM (IST)

जय तापड़िया, बाग। शहर में मां बाघेश्वरी देवी श्रद्धा एवं शक्ति का अनुपम केंद्र हैं। धार जिले के इस मंदिर को मालवा के साथ-साथ निमाड़ के 184 ग्रामों की कुलदेवी के रुप में मान्यता प्राप्त है।
बाघेश्वरी देवी राजा मोरध्वज की कुलदेवी थी। मदिर का संबंध ग्वालियर रियासत के सिंधिया परिवार से भी रहा हैं। नवरात्रि पर्व पर मां बाघेश्वरी की प्रतिमा पर मुखौटा लगाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही हैं। नवरात्रि के अलावा वर्षभर बाघेश्वरी देवी की सौम्य प्रतिमा के दर्शन होते हैं। मंदिर से जुड़ी किवदंतियों के अनुसार इसे महाभारतकालीन माना जाता हैं।
बाग-कुक्षी मार्ग पर बाघेश्वरी देवी का मंदिर हैं। ऊंची सुरम्य पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के शिखर पर सन् 1997 में स्वर्ण कलश की स्थापना के बाद इस मंदिर के प्रति विश्वास की जड़े और गहरी हो गई।
बाघेश्वरी देवी के निर्माण की तिथि को लेकर कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं हैं। बावजूद इसके पुरातात्विक दृष्टि से इसकी रचना 4 से 5 हजार वर्ष पूर्व की बताई जाती हैं। इसका गर्भगृह और सभा मंडप आज भी मूलरुप में हैं। सभा मंडप की रचना नौ दुर्गा के कारण 9 खंडों में विभक्त हैं।
श्रद्धालुओं को प्रतिदिन बाघेश्वरी देवी का प्रात: बाल रुप, दोपहर में यौवन और शाम को वृद्ध रुप देखने को मिलता हैं। प्रति वर्ष बागवासी लक्ष्मीपूजन (दीपावली) पर मंदिर के अंखंड दीप की ज्योति से अपने घरों के दीप प्रज्वलित करते हैं।
नवरात्र में प्रतिदिन होती 5 आरती
मंदिर पर प्रतिवर्ष अश्विनी माह और चैत्र माह में नवरात्र मनाई जाती हैं। सुबह साढ़े 5 बजे की आरती से लेकर रात 9 बजे तक मंदिर में होने वाली 5 आरतियों में बाग के अलावा निमाड़ क्षेत्र और महाराष्ट्र राज्य के श्रद्धालु भाग लेते हैं।