धार। बांस का कारोबार करने वाले बंसोड़ समाज के लोगों इन दिनों आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। हालत यह है समाज की महिलाएं लोगों के घर बर्तन मांजने को मजबूर हैं और पुरष रोजगार की तलाश में भटकने को। इन लोगों को इस बार का बांस का कोटा ही नहीं मिल पाया है, जिसके बिना पुश्तैनी कारोबार चलाना इनके लिए मुश्किल है। इतना ही नहीं इन लोगों को बाजार से भी बांस उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इन सब परेशानियों के बीच इंदौर में 9 अप्रैल से शुरू होने वाले बांस सम्मेलन में भी इन्हें नहीं बुलाया गया है। वहीं कुछ लोगों को एनवक्त पर ढाई हजार का इंतजाम करके साथ में चलने को कहा गया।
इंदौर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बांस सम्मेलन हो रहा है लेकिन इसमें धार जिले की उपेक्षा की जा रही है। ऐसा लग रहा है मानो बांस सम्मेलन की औपचारिकता निभाई जा रही है। जैसे-तैसे इस फंड को खत्म करके आयोजन करने की प्रवृत्ति सामने आ रही है। धार जिले के किसानों से लेकर बंसोड़ समाज के लोगों को इसमें सहभागिता ही नहीं मिल पाई है। हालात ये हैं कि बांस का कोटा नहीं मिलने के कारण आर्थिक रूप से परेशान और मजबूर बंसोड़ समाज के लोगों को बांस सम्मेलन से दूर रखने के लिए ऐसी शर्त रख दी गई, जिसे कि वे कभी पूरी ही नहीं कर सकते।
बंसोड़ समाज के सुनील पांडर ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी गुरुवार को हमारे पास पहुंचे और कहा कि बांस सम्मेलन में शामिल होना है तो प्रति व्यक्ति ढाई हजार रुपए जमा करो, तब जाकर प्रति व्यक्ति के ठहरने की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारे समाज के लोग, जो इस पुश्तैनी काम से जुड़े हुए हैं, उन्हें सम्मेलन में अन्य जिलों से निःशुल्क रूप से शामिल किया जा रहा है। केवल धार जिले में ही शुल्क क्यों मांगा जा रहा है। समाज के लोगों का कहना है कि प्रशासन यदि अपने स्तर पर इंतजाम करता है तो हम वहां जाने के लिए तैयार हैं।
जनवरी में ही मिल जाना थे बांस
दूसरी ओर बंसोड़ समाज के लोगों को इस समय कारोबार के मामले में भी काफी नुकसान हो रहा है। वन विभाग द्वारा जो सरकारी कोटे के तहत बांस उपलब्ध कराए जाते हैं इस बार उन्हें नहीं मिल पाए हैं। जिले में करीब 100 से अधिक परिवार ऐसे हैं जो कि इसी कारोबार पर अपनी आजीविका चलाते हैं। प्रत्येक परिवार को औसत रूप से 50 बांस दिए जाते हैं जो कि बहुत कम हैं। जबकि बांस से जुड़े हुए कारोबार करने वाले समाज का कहना है कि इसे बढ़ाया जाना चाहिए। इस बार तो जनवरी में मिलने वाला यह बांस भी अब तक नहीं मिला है। न ही कोई उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में बाजार से महंगे दाम पर बांस खरीदकर थोड़ा बहुत काम किया जा रहा है। -निप्र
मुझे नहीं पता
-वन सम्मेलन में किसे शामिल किया जा रहा है मैं जवाब नहीं दे सकता। मेरी एयरपोर्ट इंदौर पर ड्यूटी लगी हुई है। जहां तक वन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले बांसों का सवाल है तो इसकी व्यवस्था जल्द की जा रही है। जैसे ही बांस उपलब्ध होंगे लोगों को वितरित किए जाएंगे।
-एस. वर्मा, एसडीओ वन विभाग