
धार (नईदुनिया प्रतिनिधि)। ऐतिहासिक भोजशाला में नौवें दिन शनिवार को रंगपंचमी पर भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) का सर्वे जारी रहा। इसके तहत भोजशाला के दक्षिण भाग में एक नए स्थान पर खोदाई शुरू की गई, इसके साथ ही 50 मीटर के क्षेत्र को फोकस करते हुए विभिन्न स्थलों का दस्तावेजीकरण किया गया। जिस तरह खोदाई कार्य चल रहा है, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भोजशाला के नीचे एक तलघर हो सकता है।
प्राथमिक रूप से यह सामने आया है कि 10-15 फीट गहराई तक की खोदाई में भोजशाला की नींव नहीं मिल पा रही है। इसी से अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां पर एक तलघर हो सकता है और नींव अधिक गहराई तक हो सकती है। यदि यहां तलघर निकलता है तो कई नई बातें सामने आ सकती हैं। तलघर की संभावना के चलते सावधानी से कार्य किया जा रहा है। दूसरी ओर जीपीआर के माध्यम से अन्य स्थानों पर भी खोदाई की तैयारी की जा रही है। इसके लिए रडार से जानकारियां हासिल कर ली गई हैं।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी के ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का सर्वे कार्य 22 मार्च से किया जा रहा है। हाई कोर्ट इंदौर खंडपीठ के आदेश पर रंग पंचमी के अवकाश के बावजूद यहां पर सर्वे कार्य किया गया। मुख्य रूप से सर्वे के तहत नए स्थान पर खोदाई शुरू की गई है। भोजशाला की नींव को लेकर अन्य पाषाण धरोहर को खोजने का काम भी तेज हो गया है।

ज्ञानवापी में जिन सात विशेषज्ञों ने काम किया था, वे यहां पहुंच चुके हैं और अपना कार्य शुरू कर दिया है। बता दें कि हिंदुओं के मुताबिक भोजशाला सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी और अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।