
इंदौर चिकि त्सक और उनकी पत्नी साइकिल से आए रक्षाबंधन मनाने
प्रेरणा
दुर्घटना और हार्ट अटैक के कारण मोटापा और शारीरिक कमजोरी से ग्रसित हो गए थे
-बच्चों के डॉक्टर श्याम झा कई लोगों के लिए बन चुके है प्रेरणा
प्रेमविजय पाटिल
धार। नईदुनिया
कल्पना कीजिए कि कि सी 44 साल के व्यक्ति को पहले ट्रक की भिड़ंत में गंभीर चोट आई और ऑपरेशन हुआ हो, इसके बाद बेड रेस्ट के कारण मोटापा बढ़ जाए और उस पर हार्ट अटैक भी आ जाए तो वह हर रोज दौड़ने और साइकिल चलाने जैसी शारीरिक गतिविधियों वाली जिंदगी पर कै से लौट सकता है। इंदौर के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. श्याम झा के साथ इस तरह की परिस्थिति निर्मित हुई तो उन्होंने उसे अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने हर रोज कु छ कदम चलने और साइकिल चलाने जैसा कदम उठाया। आज वे कई मैराथन और साइकिल मैराथन में हिस्सा लेते हैं। रविवार को उनकी पत्नी को धार आना था तो उन्होंने साइकिल से इंदौर के बंगाली चौराहे से धार के कै लाश नगर तक का 70 कि मी का सफर अपनी पत्नी के साथ तय कर लिया। झा दंपती 4 घंटे में यहां पहुंच गए।
डॉ. झा की पत्नी अलका झा धार की रहने वाली हैं। वे अपने भाई मनीष दुबे को राखी बांधने के लिए धार आने वाली थी। दंपती के बीच इसकी जब चर्चा हुई तो उन्होंने एक पल विचार कि या और फिर सुबह-सुबह साइकिल से इंदौर से धार का सफर शुरू किया। करीब 4 घंटे में 70 कि मी की दूर तय करते हुए धार पहुंचे। इस तरह का कदम उठाना किसी आम आदमी के लिए सामान्य बात नहीं होती है।
इस संबंध में नईदुनिया ने डॉ. झा से चर्चा की तो प्रेरणादायी कहानी सामने आई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 कार और ट्रक की भिड़ंत में मैं घायल हो गया था। इसके बाद मुझे लगातार आराम करना पड़ा। परिणाम यह हुआ कि मोटापा बढ़ गया और हार्ट अटैक भी आ गया। इसके बाद मुझे यह लगा कि अब जिंदगी मुश्किल भरी है। ऐसे में फिटनेस पर भी ध्यान देना होगा। परिणाम स्वरूप हर रोज कु छ कदम पैदल चलना शुरू कि या और साइकि लिंग भी की। इससे मैंने अपनी फिटनेस प्राप्त की और पहले से बेहतर स्थिति में आ गया। अब तो मुझे ऐसा लगता है कि मेरे बचपन में जो घुटनों में ताकत थी वह आ गई है। उन्होंने बताया कि पत्नी अलका को भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हुई। मैंने उनको भी प्रेरणा दी और उन्होंने भी मेरे समान अपनी फिटनेस कर ली। करीब 75 बार वे हॉफ मैराथन और 3 बार फु ल मैराथन में भाग ले चुके हैं। उनकी पत्नी भी मैराथन में हिस्सा लेती है।
आलस्य को किक से भगाना होगा
डॉ. झा ने बताया कि कई साइकिल मैराथन में भाग ले चुका हूं। हर रोज सुबह जल्दी उठना लोगों के लिए चुनौती होती है। निश्चित रूप से ही हर कि सी को आलस्य आता है लेकि न फिटनेस के लिए हर रोज दृढ़ संकल्पित होना पड़ता है और उसे कि क मारकर भगाना होता है। मुझे चिकि त्सकों ने कई बार कहा कि ज्यादा दौड़ना और साइकिल चलाना ठीक नहीं है लेकि न मैंने अपनी इच्छा शक्ति से इसे प्राप्त कि या है।
गोवा में होने वाली प्रतियोगिता में लेंगे भाग
डॉ. झा आगामी दिनों में गोआ में होने वाली दौड़ की 80 कि मी टफ मेन बीच मैराथन में हिस्सा लेंगे। उनकी प्रेरणा से युवाओं के साथ 75 वर्ष के बुजुर्ग तक अपनी फिटनेस पर ध्यान देते हैं। वे चाहते है कि हर व्यक्ति सुबह के वक्त अपनी सेहत के लिए ध्यान दे।
02डीएचआर22- डॉ. झा और उनकी पत्नी रविवार को साइकिल से धार पहुंचे।
02डीएचआर23- डॉ. झा की पत्नी अलका झा ने धार में रक्षाबंधन मनाया।