धार : गांव कोद की महिलाओं ने अपनी आजीविका के साथ 35 अन्य महिलाओं के लिए भी रोजगार के द्वार खोले
प्रेमविजय पाटिल
धार (नईदुनिया)।
जिले के गांव कोद की महिलाओं के राम रहीम स्व सहायता समूह ने 2014 में अपने काम की शुरुआत की थी। समूह ने छोटे-छोटे कामों से ऐसी साख बनाई कि बैंक भी उसे ऋण देने में आनाकानी नहीं करता है। समूह की महिलाएं तो अपनी आजीविका चला रही हैं, साथ में 35 अन्य महिलाओं के लिए भी रोजगार के द्वार खोले हैं। इसमें महिलाओं ने छोटी-छोटी सामग्री का निर्माण और कच्ची सामग्री से पैकिंग कर आत्मनिर्भर होने का कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में सोमवार को आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों को 150 करोड़ रुपए का बैंक ऋण वितरित किया है। प्रदेश के कई समूह बेहतर काम कर रहे हैं। उनमें से ही एक समूह धार जिले के कोद का है, जिसे अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए पांच लाख रुपये का लोन मिला है। इससे वे लघु उद्योग- धंधे की स्थापना करेंगी।
गांव कोद में रहने वाली शीलु कुंवर ने महिलाओं को समूह में जोड़कर उनको आत्मनिर्भर बनाया। इन दीदियों के परिवार में आर्थिक समस्या आ जाने से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। आज ये मेहनत और विश्वास के साथ अपनी समस्याओं का समाधान कर रही हैं। शीलू कुंवर ने बताया कि 2014 में आजीविका मिशन से जुड़कर 10 महिलाओं के साथ मिलकर स्व सहायता समूह बनाया था। इसके बाद हमारे समूह को आजीविका मिशन के माध्यम से छोटा-सा ऋण प्राप्त हुआ। उससे हमने चूड़ी बनाने का कार्य शुरू किया। बाद में मिशन के माध्यम से और ऋण प्राप्त हुआ। हमारे समूह की दीदियों ने समूह से जुड़कर बचत के साथ-साथ आजीविका बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की सोची। हम सभी दीदियों ने सामूहिक गतिविधि करना शुरू किया तो सफलता मिली।
सामूहिक गतिविधि के तहत काम कर रही महिलाएं
डिजाइनर पूजा थाली, लाख की चूड़ी बनाना, मसाला पैकिंग, अचार व पापड़ बनाना, दीया बत्ती, फूलबत्ती, बैग निर्माण, मास्क निर्माण करना, अगरबत्ती बनाना व सिलाई कार्य के साथ ही होम डेकोरेशन का काम शुरू किया गया। सामूहिक गतिविधि के तहत काम करने वाली दीदियों की संख्या लगभग 35 है। प्रत्येक दीदी की मासिक आय करीब 6 हजार रुपये हो गई है। यह समूह दो लाख से अधिक मासिक कमाई कर रहा है।
यह है साख
समूह को लगभग तीन बार आईसीआईसीआई बैंक से ऋण प्राप्त हो चुका है। अन्य बैंक से पांच लाख रुपये का ऋण प्राप्त हुआ है। समूह की गतिविधि के लिए एक सेंटर तैयार किया गया है। इसका नाम जीवन का आधार रखा गया। गांव में ही समान बेचना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल था, परंतु आजीविका मिशन की तरफ से संस्था भोपाल स्टार पर सरस मेले एवं अन्य मेलों मे जाने का मौका मिला। इस तरह से स्थानीय स्तर के साथ मेलों व बाजारों में विपणन का कार्य कर ये महिलाएं आत्मनिर्भर हुई हैं।