नईदुनिया प्रतिनिधि, दिग्ठान (धार)। पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के ग्राम पिपलिया स्थित नालों में अवैध रूप से छोड़ा गया यह अत्यंत घातक रासायनिक पदार्थ बहते-बहते ग्राम मूडांना के पास जीवनदायिनी चंबल नदी में जा मिला। बुधवार को यह मामला प्रकाश में आया। नदी का जल रंग बदलकर गाढ़ा दूधिया हो गया और जल में उपस्थित मछलियां व जल-जीव मृत अवस्था में किनारों पर तैरते पाए गए। इसको लेकर ग्रामीणों ने पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को शिकायत की।
इस पर मौके पर पहुंच कर पड़ताल की गई है। प्राथमिक रूप से यह बात सामने आई है कि वाहन के माध्यम से किसी औद्योगिक इकाई का कचरा यहां फेंका गया है, जो घातक श्रेणी को होने से प्रदूषण का कारण बन गया है। एसडीएम राहुल गुप्ता ने बताया कि प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड ने नमूना लिया है। जांच की जा रही है। हालांकि एक बात यह भी आ रही है कोई टैंकर पलटने के कारण ऐसा हुआ है। पूरी जांच की जा रही है।
नदी के जल में व्याप्त तीव्र दुर्गंध के कारण स्थानीय नागरिकों का सांस लेना भी कठिन हो गया है। पीथमपुर तहसील मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दूर मूंडाना गांव स्थित चंबल नदी की पुलिया के पास सामने आई। जैसे ही नदी के बदले रंग और दुर्गंध की खबर फैली, वहां बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए। जल की स्थिति देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गए।
ग्रामीणों का कहना है कि नाले के माध्यम से फैक्ट्री का रासायनिक अपशिष्ट सीधे नदी में पहुंचा है। मौके पर जांच करने पहुंचे भाजपा मंडल अध्यक्ष नारायण पटेल, क्षेत्रीय राजस्व निरीक्षक (आरआइ) दिलीप शाकल्य और सागोर थाना प्रभारी प्रकाश सरोदे ने स्थिति का जायज़ा लिया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने भी मौके से जल का नमूना एकत्रित किया है।
थाना प्रभारी प्रकाश सरोदे ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सूचना मिलते ही तत्काल मौके पर पहुंचकर कार्यवाही प्रारंभ की गई है। नजदीकी क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। जो भी इस अपराध में संलिप्त पाया जाएगा, उसके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अनुविभागीय अधिकारी पीथमपुर राहुल गुप्ता ने बताया कि सूचना मिलते ही आरआई को मौके पर भेजा गया। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी घटना की जानकारी दी गई है। आगे की कार्रवाई बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी। जांच में सभी बिंदूओं को ध्यान में रखा जा रहा है।
इस घटना को लेकर क्षेत्र में भारी जनआक्रोश है। ग्रामीणों और किसानों का कहना है कि औद्योगिक इकाइयां लंबे समय से चुपचाप जहरीले अपशिष्ट नदी में डाल रही हैं, जिससे नदी का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है और जल स्रोत गंभीर संकट में हैं। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने इस मामले में जल्द और कठोर कदम नहीं उठाए, तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करेंगे।