नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक भोजशाला के सर्वे की रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मंगलवार को हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में प्रस्तुत करना थी, लेकिन उसने प्रार्थनापत्र देकर इसके लिए चार सप्ताह का समय मांगा है।
इस पर सुनवाई चार जुलाई को होगी। एएसआई की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट हिमांशु जोशी ने बताया कि प्रार्थना पत्र देकर हाई कोर्ट को अवगत कराया है कि भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वे में जीपीआर और जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
इसमें 650 से अधिक पुरावशेष सामने आए हैं। इनका विश्लेषण किया जाना है, जिसमें समय लगेगा। इसके बाद ही सर्वे रिपोर्ट तैयार की जा सकेगी, इसलिए सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने को चार सप्ताह का समय दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 11 मार्च 2024 को एएसआई को आदेश दिया था कि वाराणसी की ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला का भी सर्वे किया जाए। हाई कोर्ट ने एएसआई से छह सप्ताह में सर्वे पूरा करके पहले 29 अप्रैल को रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। बाद में रिपोर्ट पेश करने के लिए दो जुलाई तक का समय दे दिया था।
जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार: यह जमीन के अंदर विभिन्न स्तरों की वास्तविकता जांचने की तकनीक है। इसमें रडार का इस्तेमाल होता है। यह अदृश्य यानी छुपी वस्तुओं के विभिन्न स्तर, रेखाओं और संरचनाओं का माप लेता है।
जीपीएस सर्वे यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम : इसमें भवन की उम्र पता करने के लिए कार्बन डेटिंग प्रक्रिया का इस्तेमाल होता है।
भोजशाला को जैन समाज का स्थल बताते हुए पिछले दिनों विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद जैन की ओर से हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दायर याचिका का विरोध समग्र जैन समाज ने ही किया है।
मंगलवार को श्वेतांबर और दिगंबर जैन समाज के लोग भोजशाला में पूजा-अर्चना में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि वे विश्व जैन संगठन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सलेक चंद जैन की ओर से दायर याचिका के पक्ष में नहीं है।
भोजशाला मुक्ति आंदोलन से जुड़े अशोक जैन के अनुसार, समग्र जैन समाज के लोगों ने कहा है कि हम भोजशाला मुक्ति आंदोलन का समर्थन करते हैं। हिंदू समाज की ओर से भोजशाला के लिए वर्षों से लड़ी जा रही लड़ाई में साथ देते रहे हैं और आगे भी देंगे।
उल्लेखनीय है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वे के दौरान दो मूर्तियां जैन समाज से संबंधित होने की बात सामने आई थी। वहीं, दूसरी ओर, धार शहर काजी वकार सादिक ने कहा कि सर्वे में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर एएसआई के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का आवेदन मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में दिया है।