
नईदुनिया प्रतिनिधि, धार। भोजशाला परिसर में चल रहा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का सर्वे 27 जून को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद एएसआई को अपनी रिपोर्ट 2 जुलाई को हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत करनी है। हाई कोर्ट में चार जुलाई को सुनवाई होनी है।
अब तक भोजशाला परिसर में कच्ची सतह वाले स्थानों पर ही खुदाई हो सकी है। मुख्य परिसर के फर्श वाले स्थानों की खुदाई नहीं की गई है। चूंकि ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) सर्वे में इन स्थलों पर भी जमीन के भीतर संरचना होने के संकेत मिले हैं।
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ऐसे में याचिका पक्ष का कहना है कि एएसआई न्यायालय के समक्ष फिर से समय बढ़ाने की मांग रख सकती है, ताकि मुख्य परिसर के भीतर फर्श वाले स्थलों पर भी खुदाई की जा सके।
भोजशाला में 22 मार्च से चल रहा सर्वे अब अंतिम दौर में है। भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा एवं याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहा कि भोजशाला में सर्वे में कई महत्वपूर्ण प्रमाण मिले हैं।
पक्के फर्श वाले स्थानों पर भी कई पुरावशेष दबे होने की संभावना है। इसका ध्यान रखते हुए सर्वे को पूर्णत: दी जाए। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि एएसआई हाई कोर्ट में शेष स्थानों के सर्वे की मांग करे।
जीपीआर यानी ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार सर्वेक्षण विधि है। यह जमीन की सतह की छवि बनाने के लिए विद्युत चुंबकीय ऊर्जा संकेत का उपयोग करती है। इसमें आमतौर पर ट्रांसमीटर, रिसीवर और सिग्नल एनकोडर होता है।
उत्सर्जित ऊर्जा संकेत किसी दबी हुई वस्तु या अलग-अलग गुणों वाली सामग्रियों के बीच की सीमा से टकराता है, तो सिग्नल रिसीवर को वापस आता है। इससे जमीन की गहराई में लगभग 2-3 मीटर के पुरावशेष आदि की जानकारी मिल सकती है। इसका उपयोग एएसआई ने अयोध्या में भी किया था।
भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) ने मंगलवार को 96वें दिन का सर्वे उत्तरी भाग में किया। इस दौरान 4 पुरावशेष मिले हैं। इनमें एक स्तंभ का आधार वाला पाषाण है, जबकि 3 सामान्य पत्थर हैं। इन पर आकृतियां बनी हुई हैं, लेकिन उनकी सफाई होने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। मंगलवार को हिंदू समाज ने पूजा-अर्चना की।
इधर, सभी विशेषज्ञ व अधिकारी अपने-अपने स्तर पर रिपोर्ट बना रहे हैं। रिपोर्टिंग का काम भी अंतिम दौर में चल रहा है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए एएसआई की टीम को 27 जून के बाद भी भोजशाला जाना-आना पड़ेगा। ऐसे में यह कार्य 30 जून तक भी चल सकता है। मंगलवार को सुबह आठ बजे 10 अधिकारी और 38 मजदूरों के माध्यम से सर्वे कार्य उत्तर दिशा में शुरू किया गया। शाम पांच बजे तक चला।