शहर की 25 बावड़ी होंगी पानीदार, आकर्षक स्वरूप मिलेगा
-भोज की जल संरचना जीवित रहेगी
प्रेमविजय पाटिल। धार (नईदुनिया)
राजा भोज की नगरी में साढ़े बारह तालाब और बावड़ी का काफी महत्व रहा है। समय के साथ इन बावड़ियों को भुला दिया गया। इसी का परिणाम रहा कि ये बावड़ियां कचराघर में तब्दील हो गईं। आज स्थिति यह है कि कई बावड़ियां तो अस्तित्व में ही नहीं रह गई हैं। लेकिन एक बार फिर इस दिशा में नगर पालिका के माध्यम से एक विशेष पहल होने जा रही है। निजी एजेंसी द्वारा बावड़ियों की दशा सुधारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। विस्तार योजना बनकर तैयार हो गई है। शहर की करीब 25 प्राचीन बावड़ियों को नया स्वरूप देने का खाका तैयार कर लिया गया है। जल्द ही इसके लिए मैदानी स्तर पर भी काम करने की स्थिति बन जाएगी। सबसे बड़ी बात यह है कि धार के इतिहास में पहली बार बावड़ियों की दशा सुधारने के लिए कदम उठाया जाएगा।
राजा भोज के शासनकाल की प्राचीन जल प्रबंधन प्रणाली आज भी जीवित है। उसकी वजह यह है कि जल प्रणाली को इस तरह से बनाया गया था कि वह लंबे समय तक जीवित रह सके। हालांकि इसको नुकसान पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई। शहरीकरण की जो पीड़ा होती है। उस पीड़ा से तालाब और बावड़ियां गुजर रही हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि अब फिर से शहर को पानीदार बनाने के लिए प्रयास शुरू हो चुके हैं। जहां तालाबों के सुधार का कार्य चल रहा है। वहीं अब बावड़ियों की दिशा में भी पहल की जा रही है। इसके लिए 25 बावड़ियां चिन्हित कर ली गई हैं। इनकी दशा कई स्थानों पर खराब हो चुकी हैं। कुछ बावड़ियों की मरम्मत करने की आवश्यकता है, तो कुछ को नए सिरे से आंशिक विकसित करना होगा। बताया जाता है कि राजा भोज के शासन काल से ही इन बावड़ियों का अस्तित्व रहा है और ये बावड़ियां आज भी शुद्ध पानी उपलब्ध करवा सकती हैं। नगर पालिका परिषद द्वारा इन बावड़ियों को संरक्षित करने और पुनर्जीवित करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना अपने कंसलटेंट के माध्यम से तैयार करवाई जा रही है। जो लगभग तैयार हो चुकी है।
इस तरह से होगा काम
मामले में विशेष रूप से इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि बावड़ियों की वास्तविक पहचान समाप्त नहीं हो। इसके लिए उसकी संरचना में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। बगैर किसी परिवर्तन के उसकी मरम्मत और विकास किया जाएगा। सभी बावड़ियों की सफाई की जाएगी। जहां मरम्मत और सुधार की आवश्यकता है। उसका सुधार भी किया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक बावड़ी के लिए विशिष्ट प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। उदाहरण के तौर पर समझें तो किसी में ओवरफ्लो को लेकर सिस्टम ठीक करना है। किसी की दीवार ठीक करना है, तो किसी में अन्य कोई संरचनात्मक सुधार करना है तो उनको भी सुधार दिया जाएगा। वहीं अतिक्रमण से बचाने के लिए आसपास के परिसर में भी आसानी से सुधार होगा। जिससे कि किसी तरह की दिक्कत नहीं हो। पैबर्स लगाने के साथ-साथ लाइट आदि की भी सुविधा भी उसमें की जाएगी। शहर की 25 बावड़ियों का जीर्णोद्धार करने का काम होना है। यह शहर को पानीदार बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा। संबंधित एजेंसी द्वारा इसके लिए विशेष ड्राइंग भी तैयार की गई है। सभी को लेकर डीपीआर बनाई गई है। जिससे कि उसके अस्तित्व को बनाए रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकेगा।
ये हैं 25 बावड़ियां
1. लालबाग परिसर की बावड़ी। 2. मुनीमजी की बावड़ी। 3. झिरनिया व्यायामशाला के परिसर वाली बावड़ी। 4. खेड़ापति व्यायामशाला परिसर की बावड़ी। 5. केवड़ी कुंड की बावड़ी। 6. गटार बावड़ी। 7. आनंदेश्वर मंदिर की बावड़ी। 8. भूती बावड़ी हठीला हनुमान मंदिर परिसर। 9. अखंड आश्रम की बावड़ी। 10. पानी वाली बावड़ी नौगांव। 11. बाबा बंदी छोड़ के सामने नौगांव की बावड़ी। 12. सलकिया बावड़ी नौगांव। 13. धारेश्वर मंदिर बावड़ी। 14. मलुसिया बावड़ी। 15. अंबे माता बावड़ी। 16. नागचंद्रेश्वर मंदिर की प्राचीन बावड़ी। 17. साकला बावड़ी भैरवजी मंदिर। 18. बियाबानी की बावड़ी। 19. धान मंडी परिसर की बावड़ी, 20. नर्सरी परिसर के भीतर की बावड़ी। 21. कोर्ट रोड पर निचले क्षेत्र में बसी बावड़ी। 22. शांति कुंज कॉलोनी की बावड़ी। 23. धार किले के भीतर की बावड़ी। 24. विजय स्तंभ गंजी खाना क्षेत्र की बावड़ी। 25. शनि मंदिर की बावड़ी।
सीएमओ विजय कुमार शर्मा ने बताया कि हम शहर की बावड़ियों के सुधार के लिए प्रयास कर रहे हैं। तालाबों के लिए काम शुरू किया जा चुका है। राजा भोज के काल की संरचनाओं को जीवित रखते हुए उसे आगामी पीढ़ी के लिए धरोहर के तौर पर सुरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है। जल्द ही इस दिशा में काम शुरू होगा।
15डीएचआर 22- संबधित एजेंसी द्वारा बावड़ियों को अस्तित्व में लाने के लिए विशेष ड्राइंग तैयार की गई है।
15डीएचआर 23 व 24- धार की भूती बावड़ी जिसको नए स्वरूप में लाया जाएगा।