राजगढ़-फूलगांवड़ी (नईदुनिया न्यूज)। पीने के पानी के बड़े स्रोत गोविंदपुरा जलाशय में मछलियों के मरने और सड़ने की सूचना के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी बेसुध हैं। बगैर किसी रोकटोक पीने के लिए अब भी पानी सप्लाई किया जा रहा है। हालांकि सरदारपुर नगर परिषद से इंजीनियर और चार सदस्यीय टीम ने गोविंदपुरा जलाशय का दौरा करते हुए मृत मछलियों के बारे में जानकारियां एकत्रित की हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई कदम आगे नहीं बढ़ा है। नतीजतन, मछलियां अब भी तालाब में ही मृत अवस्था में पड़ी हुई हैं।

विडंबना यह है कि इस तालाब का पानी अब भी पीने के लिए सप्लाई हो रहा है। उधर, गर्मी के भीषण दिनों में राहत पाने के लिए शाम के वक्त घर से बाहर बैठने वालों को ठंडी हवा बाद में और मरी हुई मछलियों की सड़ांध पहले आ रही है। ऐसे में ग्रामीण त्रस्त हैं। बावजूद इसके न तो कोई जिम्मेदार अधिकारी अब तक जलाशय पर पहुंचा है और न ही इन मछलियों को वहां से हटाने का कोई प्रबंध होता नजर आ रहा है।

गायों के लिए अब वैकल्पिक व्यवस्था

जलाशय में मोटर डालकर वहां से पीने का पानी गायों के लिए श्रीकृष्ण गोवर्धन गोशाला तक पहुंचाया जाता है, लेकिन मछलियों के मरने और पानी के दूषित होने का हाल आंखों से देखने के बाद गोशाला प्रबंधन ने वहां से पानी की सप्लाई बंद करते हुए गायों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की है। इसके तहत पुराने बोरिंग के माध्यम से पीने का पानी गायों के लिए भरा जा रहा है। गोशाला अध्यक्ष बाबू ओथवाल ने बताया कि प्रदूषित पानी की वजह से गायों में बीमारियां फैलने का अंदेशा है। हमने गायों को फिलहाल जलाशय का पानी पिलाना बंद कर दिया है। उधर, शहरी सहित ग्रामीण इलाकों में भी अब भी पानी की सप्लाई मनुष्यों के लिए जारी है।

बदबूदार हवा कर रही जीना मुश्किल

जलाशय से होकर आ रही हवा भी अब बदबूदार होने लगी है। मृत मछलियों के सड़ने की वजह से फैल रही दुर्गंध की वजह से ग्रामीणों का घरों के बाहर बैठना नामुमकिन हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि जलाशय से मछलियों को नहीं हटाया गया तो वातावरण दूषित और मानव स्वास्थ्य प्रभावित हो जाएगा।

दूषित पानी से नहाना भी बीमारियों को दावत देना

जानकार बताते हैं कि मृत मछलियों से दूषित हुए पानी का उपयोग पीने में नहीं किया जा सकता। वहीं नहाने में भी उपयोग उचित नहीं है। यदि इस पानी का नहाने में उपयोग किया जाता है तो त्वचा रोग, खुजली, एलर्जी जैसी बीमारी होने की संभावना होती है।

Posted By: Nai Dunia News Network

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