
राजगढ़ (नईदुनिया न्यूज)। भुजरिया पर्व के समापन पर शुक्रवार को गवली समाज द्वारा विसर्जन जुलूस निकाला गया। यात्रा का अनेक स्थानों पर स्वागत किया गया। धार्मिक वेशभूषा में युवक-युवतियां ढोल की ताल पर जमकर थिरके। करीब चार घंटे से अधिक जुलूस ने नगर भ्रमण किया। माही नदी पहुंचकर जवारे विसर्जित किए गए।
पर्व की शुरुआत नागपंचमी के दिन से हुई थी। गवली समाज के लोगों द्वारा घर-घर जवारे बोकर दस दिन तक बेहतर वर्षा व फसल तथा सुख-समृद्धि की कामना की। श्रावण माह की पूर्णिमा शुक्रवार को पर्व का समापन हुआ। इस अवसर पर गवली मोहल्ले से विसर्जन जुलूस निकाला गया। जुलूस के आगे ढोल की ताल पर युवा थिरकते नजर आए। युवतियों एवं महिलाओं ने गरबा रास किया। सुसज्जित चलित वाहन में भगवान श्रीकृष्ण की श्रृंगारित मूर्ति विराजित की गई थी। दो युवक-युवतियां श्रीराधा-कृष्ण की वेशभूषा में बैठे थे। चलित वाहन में धार्मिक वेशभूषा में युवक-युवतियां भक्ति गीतों पर प्रस्तुति देते नजर आए। इसी वाहन में भगवान शिव की झांकी भी थी। एक अन्य वाहन में सभी जवारों को दर्शनार्थ विराजित किया गया था, जो आकर्षण का केंद्र रहे। यात्रा का पुराना बस स्टैंड पर राजपूत समाज, विहिप, बजरंग दल सहित अन्य स्थानों पर सामाजिक संस्थाओं द्वारा स्वागत किया गया। करीब चार घंटे नगर भ्रमण कर यात्रा माही नदी पहुंची। यहां विधिपूर्वक जवारों का विसर्जन किया गया।
बैंडबाजों के साथ निकाला चल समारोह, युवाओं ने खेला डांडिया
सरदारपुर। यादव समाज द्वारा शुक्रवार को भुजरिया पर्व उत्साह के साथ मनाया गया। बैंडबाजों के साथ नगर में चल समारोह निकाला गया। इस दौरान जगह-जगह स्वागत हुआ। गोपाल कालोनी से चल समारोह प्रारंभ हुआ, जो नगर भ्रमण करते हुए माही नदी तट पहुंचा, जहां जवारों का विसर्जन किया गया। चल समारोह के दौरान युवा डांडिया खेलते हुए चल रहे थे। जबकि इनके पीछे युवतियां एवं महिलाएं बैंड की धुन पर नृत्य करते हुए चल रही थी। मान्यतानुसार दस दिवसीय भुजरिया पर्व नाग पंचमी से लेकर पड़वा तक उत्साह के साथ मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन गेहूं के दानों का रोपण कर प्रतिदिन विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। रक्षाबंधन के दूसरे दिन समाजजनों द्वारा भुजरिया पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। जवारों का चल समारोह निकालकर माही नदी में विधिविधान के विसर्जन किया गया। समाजजन अपने से बड़ों को जवारे देकर पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं। बहनों द्वारा भाइयों को रक्षा सूत्र बांधा जाता है। जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करते हैं।