नईदुनिया प्रतिनिधि, धार। धार की ऐतिहासिक भोजशाला में मंगलवार को हिंदू समाज ने सत्याग्रह किया। आज के सत्याग्रह में मुख्य रूप से अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास जी की शिष्या लक्ष्मी कनक बिहारी दास ने भी सत्याग्रह में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि धार की ऐतिहासिक भोजशाला वास्तव में सनातनी विरासत है। यह तो सामान्य नेत्रों से भी देखा जा सकता है कि यह एक मां सरस्वती का सदन है।
इधर मंगलवार को भोजशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम द्वारा सर्वे भी किया गया। सत्याग्रह को लेकर आज उत्साह पूर्ण वातावरण रहा। इसकी बड़ी वजह यह थी कि सर्वे के लिए 8 सप्ताह का अतिरिक्त समय मिला है। इसको लेकर उत्साह के साथ में लोग भोजशाला पहुंचे और पूजा अर्चना की। साध्वी जी अपने साथ अयोध्या से ठाकुर जी का बाल स्वरूप लेकर आई थी। वे इस मूर्ति के साथ ही चलती है। वे भोजशाला में भी मूर्ति के साथ गई थी।
उल्लेखनीय की प्रत्येक मंगलवार को हिंदू समाज को भोजशाला में प्रवेश की अनुमति है। साथ ही निर्धारित मापदंड अनुसार पूजा अर्चना की भी अनुमति दी गई है। ऐसे में जबकि 40 दिन से सर्वे चल रहा है तो यहां पर हिंदू समाज के लोगों को केवल मंगलवार को प्रवेश दिया जा रहा है।
जबकि मुस्लिम समाज के लोगों को शुक्रवार को प्रवेश दिया जा रहा है। शेष 5 दिनों में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। यह रोक लंबे समय से चल रही है। माना जा रहा है कि आगामी 27 जून तक सर्वे किया जाएगा। जब तक की सर्वे कार्य पूरा नहीं हो जाता है तब तक यही व्यवस्था बनी रहेगी। सर्वे की गोपनीयता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। इधर अहम बात यह है कि भोजशाला के भीतर मंगलवार को सत्याग्रह हुआ। हनुमान चालीसा का पाठ और पूजा अर्चना की गई।
इसमें कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच में लक्ष्मी कनक बिहारी दास ने भोजशाला में पूजा अर्चना की। वे अयोध्या से आई थी। उन्होंने यहां पर देखा कि भोजशाला वास्तव में एक मंदिर है और इसको लेकर किसी तरह के विवाद की स्थिति ही नहीं होना चाहिए।
लक्ष्मी कनक बिहारी दास ने मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि भोजशाला राजा भोज की शाला है। हमने अपने चक्षुओं से दर्शन किए हैं तो ऐसा लग रहा है कि इससे अच्छा रमणीय स्थान हमने अपने जीवन में पुरातन पद्धति के अनुसार आज तक नहीं देखा। सबसे पुराना सनातनी स्थान आज हमने देखा है जो हमें और हमारे ठाकुर जी, रामलला जी सरकार को भाया है।
भोजशाला को सर्वे की जरूरत नहीं हैं, सर्वे करना है तो यह ढके हुए बाहर जो सीमेंट से पोत दिए गए स्थान का करें। खोदाई से लोग डरते क्यों है। यहां पर जो है वही तो निकलेगा। कोर्ट अपना कार्य कर रही है। 500 साल राम लला को भी टेंट से बाहर निकलने में लगे हैं। महल जाने में समय लगा।
आज ठाकुरजी ने स्वयं भोजशाला के दर्शन किए हैं, राम जी का स्वयं का मानना है कि मेरा दास हनुमान दास जी महाराज अंदर बैठे हैं। इसलिए वे आज अयोध्या से यहां पधारे हैं कि उनको उनकी शक्ति का ज्ञान को बल दिया। साध्वी जी अपने साथ अयोध्या से ठाकुर जी का बाल स्वरूप लेकर आई थी। वे इस मूर्ति के साथ ही चलती है। वे भोजाशला में भी मूर्ति के साथ गई थी।