राजगढ़ (नईदुनिया न्यूज)। जैन समाज के आठ दिनी पर्युषण पर्व का समापन शुक्रवार को संवत्सरी प्रतिक्रमण के साथ हो गया। इस अवसर पर सामूहिक तप आराधना हुई। सुबह श्री राजेंद्र भवन और श्री नवरत्न आराधना भवन से चैत्य परिपाटी का जुलूस निकाला गया। इसमें समाज के अधिकांश पौषध आराधक तय वेशभूषा में शामिल हुए। दोपहर बाद समाजजनों ने सामूहिक प्रतिक्रमण कर 84 लाख जीव योनियों से वर्षभर में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना की। मंदिरों में प्रतिमाजी की आकर्षक अंगरचना की गई। शनिवार को तपस्वियों के पारणे होंगे।
शुक्रवार को जैन समाज का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व संवत्सरी मनाया गया। अधिकांश समाजजनों ने उपवास, एकासना, आयंबिल एवं बियासणा की तप आराधना कर अपने कर्मों का क्षय किया। साथ ही आराधना भवन में पांच दिन से चल रहे कल्पसूत्र ग्रंथ वाचन का समापन हुआ। शाम को प्रतिक्रमण के बाद समाजजनों ने मिच्छामि दुक्कड़म बोलकर क्षमायाचना की।
बारसा सूत्र का खड़े-खड़े हुआ वाचन और श्रवण
पर्युषण पर्व की आराधना के अंतिम दिन भगवान महावीर स्वामी की मूल वाणी पर आधारित बारसा सूत्र का वाचन किया गया। श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में मुनिराजश्री पीयूषचंद्र विजयजी ने बताया कि उक्त सूत्र की रचना आचार्यश्री भद्रबाहुस्वामी द्वारा की गई है। इस सूत्र में प्रभु की मूल वाणी की 1200 गाथाएं लिखी गई हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि कल्पसूत्र का जो भी श्रवण नहीं कर पाया या श्रवण करने में कहीं चूक हुई हो, तो बारसा सूत्र का श्रवण कर लेने मात्र से कल्पसूत्र के श्रवण का लाभ प्राप्त हो जाता है। इस सूत्र को खड़े-खड़े वाचन एवं श्रवण करने का शास्त्रों में विधान बताया गया है। उक्त शास्त्र का वाचन वर्षभर में मात्र एक बार संवत्सरी महापर्व के दिन ही आचार्य भगवंत, मुनि भगवंत एवं साध्वीवृंदों द्वारा किया जाता है।
मुनिश्री को व्होराया बारसा सूत्र
पर्युषण पर्व के अंतिम दिन मोहनखेड़ा महातीर्थ में बागरा निवासी ओटमल सांकलचंद जैन परिवार द्वारा जिन मंदिर परिसर से बारसा सूत्र प्रवचन मंडप में लाया गया। अष्टप्रकारी पूजा का विधान पूर्ण कर पाट पर विराजित मुनिश्री पीयूषचंद्रविजयजी को वाचन के लिए बारसा सूत्र व्होराया। बारसा सूत्र की प्रथम ज्ञान पूजा कमलाबेन कांतिलाल मुंबई, द्वितीय सरोज केए. जैन धार, तृतीय मंजुबेन अंबोर एवं पदमाबेन धार, चतुर्थ शैलेषकुमार रतनचंद मुंबई व पंचम नवीनचंद रतनचंद बड़वानी ने की। बारसा सूत्र के ज्ञान की आरती ओटमल साकलचंद जैन बागरा वालों ने उतारी।
आचार्यश्री के पुण्योत्सव का आयोजन आज से
आचार्यश्री ऋषभचंद्रसूरीश्वर का महापुण्योत्सव शनिवार 11 से 18 सितंबर तक श्री आदिनाथ राजेंद्र जैन श्वेतांबर पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वावधान में मुनिराजश्री पीयूषचंद्रविजयजी, वैराग्ययशविजयजी, जिनचंद्रविजयजी, जनकचंद्रविजयजी एवं साध्वीश्री सद्गुणाश्रीजी, संघवणश्रीजी, विमलयशाश्रीजी आदि ठाणा की निश्रा में मनाया जाएगा। महोत्सव के प्रथम दिन सुबह प्रभुजी का अभिषेक एवं अंगरचना सुमेरमल मिश्रीमल बाफना परिवार भीनमाल की ओर से होगी। दोपहर में दादा गुरुदेव की गुरुपद महापूजन लालचंद रायचंद वागरेचा परिवार सियाणा वालों की ओर से होगा। सप्तम पट्टधर आचार्यश्री रवींद्रसूरीश्वरजी की जन्मतिथि पर गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा।
पयुर्षण के समापन पर चारथुई संघ के सभी तपस्वियों एवं सदस्यों के पारणे का आयोजन पोरवाल धर्मशाला में शनिवार को होगा। पारणे के लाभार्थी केशरचंद गंभीरचंद जैन परिवार है। कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 7ः30 बजे से होगा।
टांडा। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दौरान त्याग, तपस्या, साधना व आराधनाओं की धूम रही। पर्व के अंतिम दिन शुक्रवार को कल्पसूत्र का वाचन मनीष चौहान व गौतम श्रीश्रीमाल ने पूरा किया। ज्ञान की पूजा एवं आरती का लाभ तेजमल शोभागमल नखेत्रा परिवार ने लिया। श्रद्धालुओं ने अट्ठम तप, तेले, बेला, उपवास व एकासने की तपस्या की। यशवंता बेन लोढ़ा ने आठ दिवसीय मौन आराधना की। शाम को श्रीराजेंद्र जैन भवन में संवत्सरी प्रतिकमण कर श्रावक-श्राविकाओं ने 84 लाख जीव योनियों से मन, वचन व काया से हुए अविनय, अवज्ञा, अवमानना, पाप, दोष आदि के लिए क्षमायाचना की। मंदिर में आरती के बाद श्रावक-श्राविकाओं ने घर-घर जाकर क्षमा मांगी। बालिका परिषद द्वारा लघु नाटिका, भक्ति डांस व विभिन्ना प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। तरुण परिषद के कार्यकर्ताओं ने मंदिरजी में प्रतिमाओं की मनमोहक अंगरचना की।
वारसा सूत्र की बोली लगाई
निसरपुर। नगर में पर्युषण पर्व पर जैन समाज में पहली बार वारसा सूत्र की बोली लगाई गई जिसका लाभ महेंद्र कुमार, अरुण कुमार व प्रवीण कुमार कोठारी परिवार ने लिया। शुक्रवार सुबह चलित उपाश्रय भवन (कोठारी भवन) से जुलूस ढोल-बाजे के साथ निकाला गया। इसमें सभी समाजजन भी उपस्थित थे। महेंद्र कुमार कोठारी, चिराग भाई शाह, मानव भाई मुंबई उपस्थित थे।