प्रेमविजय पाटिल, नईदुनिया धार(Indore Ahmedabad Highway)। भारी-भरकम टोल चुकाकर सड़क पर आरामदायक सफर की चाहत गड्ढेदार सड़क और उड़ती धूल वाहन चालक की परीक्षा लेती है। बीओटी यानी बनाओ चलाओ और लौटाओ योजना का स्वरूप बदल गया है।
बनाओ, देखभाल मत करो और केवल कमाओ ही कमाओ योजना पर काम हो रहा है। ऐसी सड़क पर प्रतिदिन 16 से 17 हजार वाहन आवाजाही करते हैं। इनकी तकलीफ की खबर लेने वाला कोई नहीं है। गुजरात के लोगों ने तो इस तरफ आने से ही तौबा कर ली है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं इंदौर-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग की, जो मुसाफिरों के लिए तकलीफ का कारण बना हुआ है। बारिश के पहले से ही सड़क खराब हो रही थी। केवल कमाने की मानसिकता के चलते कभी भी इसकी मरम्मत पर काम नहीं किया गया।
बारिश ने सड़क की गुणवत्ता की भी पोल खोल कर रख दी। लगातार रिमझिम बारिश होती रही और सड़क छलनी होने लगी। गनीमत रही कि मूसलधार बारिश नहीं हुई वरना कुछ हिस्सों में तो डामर भी गायब हो गया होता।
धार से इंदौर के सफर की ही बात करें तो यह बहुत ही मुश्किल भरा हो गया है। जगह-जगह सड़क गड्ढेदार हो रही है। डामर ने कुछ स्थानों पर तो इस कदर से साथ छोड़ दिया है कि वहां पर यदि संभलकर नहीं चला जाए तो हादसा होना तय है।
सड़क सुधार के लिए प्रयास जारी हैं। बारिश के दौरान भी मरम्मत कार्य करवाया गया है। यहां तक की वाटरप्रूफ मटेरियल तक उपयोग किया गया है। इस बारे में सतत ध्यान दिया जा रहा है। - सुमेश बांझल, पीडी, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, इंदौर
धार जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर ग्राम पीपलखेड़ा में यही हाल है, जहां सड़क बदतर हो गई है। फिर भी यहां पर मरम्मत का मरहम नहीं लगाया जा रहा है। दो दिन पहले ही हादसा हो चुका है। दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे जबकि यहां पर तीन दिनों से बारिश रुकी हुई है, फिर भी कोई सुधार करने को तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इंदौर- अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के बाद से ही यह मार्ग टोल की अधिक रकम लेने को लेकर विवादित रहा है। इसको लेकर धार विधायक नीना वर्मा कई बार केंद्र सरकार को पत्र लिख चुकी है। अन्य जन प्रतिनिधियों ने भी इसके लिए अपनी तरफ से पत्र लिखे। इन सबके बावजूद भारी टोल देने के बाद भी लोग आरामदायक सफर नहीं कर पा रहे हैं।