नईदुनिया प्रतिनिधि, धार। शताब्दियों पूर्व के समृद्ध इतिहास के साक्षी मांडू नगर में उत्खनन में प्राचीन वस्तुएं निकलती रहती हैं। अब यहां प्राचीन चतुर्भुज श्रीराम मंदिर परिसर स्थित हनुमान मंदिर के पीछे बावड़ी की दीवार से भारी भरकम कोल्हू प्राप्त हुआ है। इतिहासकार इसे 17वीं शताब्दी का बता रहे हैं। यहां राम मंदिर परिसर में संकट मोचन हनुमान मंदिर के पीछे बावड़ी की दीवार से प्राप्त होने के बाद कोल्हू को मंदिर परिसर में रखा गया है।
मंदिर की बावड़ी की दीवार की मरम्मत के समय अद्भुत संरचना दिखाई दी। गुरुवार को कोल्हू को बाहर निकाला गया। फिलहाल मंदिर परिसर में ही इसे उपयुक्त स्थान पर रख दिया गया है।
राज्य पुरातत्व विभाग के संग्रहालय अध्यक्ष और पुरातत्वविद डॉ. आरपी पांडे ने बताया कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह कोल्हू है। इसका उपयोग प्राचीन काल में तेल निकालने के लिए किया जाता था। बैलों के गले में रस्सी बांधकर इस संरचना से तेल निकालने की प्रक्रिया की जाती थी। प्राचीनकाल में बड़े स्तर पर यह उपयोग में लाया जाता था।
डॉ. पांडे का कहना है कि मांडू 17वीं शताब्दी में तेल और महत्वपूर्ण वस्तुओं के निर्यात का बड़ा केंद्र था। यहां गधाशाह नामक प्रसिद्ध व्यापारी रहते थे। आज भी मांडू में गधाशाह का महल स्थित है। इसे गधाशाह की दुकान कहते हैं। इस काल में मांडू दुनिया का बड़ा व्यापारिक केंद्र था।
विदेश तक यहां से तेल इत्यादि वस्तुएं निर्यात होती थी। यहां बहुत बड़ी संख्या में कोल्हू की उपलब्धता रही होगी। यह भी हो सकता है कि इस कोल्हू का उपयोग प्राचीन समय में मंदिर परिसर में ही होता रहा होगा।