BT Cotton Seeds: प्रेमविजय पाटिल, नईदुनिया, धार। भीषण गर्मी में बीटी काटन (कपास) बीज के लिए मालवा-निमाड़ अंचल के किसानों ने कतार में लगाकर अपना पसीना बहाया था। ऐसे हालात आने वाले समय में निर्मित नहीं हों, इसके लिए धार, बड़वानी और खरगोन जैसे कपास उत्पादक जिलों में किसानों को पहली बार बीटी काटन के बीज का उत्पादक बनाने की तैयारी की जा रही है। इसमें बहुराष्ट्रीय कंपनी और किसानों के बीच अनुबंध होगा।
शुरुआत में करीब 50 हेक्टेयर में बीज का प्रोडक्शन लेने की योजना है। दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में पहली बार किसानों को बीज के लिए कृषि विभाग लाभ के साथ आत्मनिर्भर बनाने की पहल कर रहा है। जल्द ही कंपनी व किसानों के मध्य अनुबंध हो जाएगा। इसके नतीजे वर्ष 2025 में देखने को मिलेंगे। कपास के बीटी बीज केवल गुजरात, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में किसान व कंपनी मिलकर तैयार करते हैं। किसानों को ऊंचे दाम पर हर साल कंपनी से बीज खरीदना होते हैं।
मध्य प्रदेश के धार, खरगोन, खंडवा, बड़वानी, बुरहानपुर सहित अन्य जिलों में करीब 15 लाख पैकेट बीज का मार्केट है। एक पैकेट का जन 475 ग्राम होता है। बड़ा बाजार होने के बाद भी मप्र बीज उत्पादन में पिछ़ड़ा हुआ है। बीज के लिए गुजरात पर निर्भरता है। धार, खरगोन व बड़वानी के किसानों तथा निजी कंपनी के बीच बीटी काटन बीज के प्रोडक्शन के लिए अनुबंध होगा।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां इसके लिए खुद टीम के माध्यम से किसान के खेतों में बोवनी करवाएंगी। बीटी कपास आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट प्रतिरोधी कपास किस्म है, जो वालवर्म कीट का सामना करता है। धार जिले में 80 से अधिक किसानों से कंपनी अनुबंध करेगी। इन किसानों के खेत पर कंपनी के निर्देशानुसार पूरी प्रक्रिया होगी। समय-समय पर बीज हाईब्रिड करने व कीटनाशक देने की प्रक्रिया होगी।
ये है किसानों के लाभ का गणित
धार जिले में नुजीविडू सीड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से अनुबंध होगा। मोटे अनुमान के तहत एक पौधे में 50 कपास फूल के हिसाब से प्रति एकड़ छह से सात क्विंटल की उपज प्राप्त होती है। इसमें 65 प्रतिश यानी लगभग 3.90 क्विंटल रेशे वाले बीज प्राप्त होते हैं। ये कंपनी द्वारा अनुबंध के आधार पर नौ प्रतिशत कटौती कर रेशे लगभग 3.4 क्विंटल बीज 500 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीद लेगी। इसके बाद जिनिंग प्लांट बडोली, गुजरात में भेजा जाएगा।
शेष बचे 35 प्रतिश कपास के रेशों को बाजार की दर से खरीदी जाएगा। इस प्रकार कपास बीज उत्पादन कार्यक्रम के लिए एक एकड़ में लगभग 75000 रुपये की लागत आएगी। उसे पर किसान को शुद्ध आय एक लाख 15 हजार होगी, जबकि साधारण रूप में कपास की खेती करने वालों को लागत निकालना भी मुश्किल होता है। कंपनी की बाय बैक यानी खरीदने की गारंटी रहती है।
इससे किसान को नुकसान नहीं होता है। कंपनी अपने माध्यम से पैसा खर्च करती है। इससे किसानों को आर्थिक बोझ भी कम आएगा। बीज उत्पादक अगले सत्र के लिए बीज के लिए आत्मनिर्भर हो जाएगा। स्थानीय प्रोडक्शन होने से प्रदेश के किसानों को लाभ होगा। परिवहन व अन्य खर्च कम होने से कंपनी स्थानीय बाजार में इसे कम दाम में बेचती है। ऐसा गुजरात में होता भी है।
बीटी कपास आनुवांशकीय परिवर्तित फसल है। इसमें बेसिलस थ्यूरेनजिनेसिस बैक्टीरिया के एक या दो जीन फसल के बीज में आनुवांशकीय अभियांत्रिकीय तकनीक से डाल दिए जाते हैं। इससे पौधे के अंदर क्रिस्टल प्रोटीन उत्पन्न करते हैं। इससे विषैला पदार्थ उत्पन्न होता है, जो कीटों को नष्ट कर देता है।
किसानों को बीटी काटन के बीज के उत्पादन कार्यक्रम के लिए कृषि विभाग ने पहल की है। धार जिले में 80 किसानों व कंपनी के बीच अनुबंध होगा। कंपनी की निगरानी में बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाया जाएगा। इसका लाभ किसानों को होगा। - जीएस मोहनिया, उप संचालक, कृषि विभाग, धार