राजगढ़ (नईदुनिया न्यूज)। नवकार मंत्र में 68 अक्षर हैं, जिन्हें 68 तीर्थों की उपमा दी गई है। नवकार महामंत्र में देव, गुरु और धर्म तीनों तत्व समाहित है। दो देवतत्व, तीन गुरुतत्व और चार धर्मतत्व इस मंत्र में समाहित हैं। नवकार के नवपदों में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र और सम्यक तप यह नवपद समाहित हैं। इन नवपदों में सारा संसार आ चुका है। नवकार की तल्लीनता व एकाग्रता साधक का जीवन संवार देती है।
उक्त बातें श्री राजेंद्र भवन में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान शनिवार को मुनिश्री पीयूषचंद्र विजयजी ने कही। शनिवार से नगर के राजेंद्र भवन में नौ दिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना का दौर आरंभ हो गया। मुनिश्री ने कहा कि जिनशासन में आज के दिन का बड़ा महत्व है। आज से नव दिवसीय नवकार महामंत्र की आराधना पूरे भारत में शुरू हुई है। नवकार के नवपदों का एक-एक दिन हम सुमिरन करेंगे। नवकार चार शब्दों से मिलकर बना है। यह महामंत्र विश्व का सबसे शक्तिशाली प्रमुख मंत्र है। सभी धर्मों के अपने-अपने मंत्र, ग्रंथ, तीर्थ होते हैं, पर यह मंत्र अपने आप में सिद्धिदायक महामंत्र माना गया है। सिर्फ नवकार को ही महामंत्र की उपाधि दी गई है। इसमें 14 पूर्वों का सार समाहित है।
गुरुपद महापूजन आयोजित
आराधना के लिए प्रभु प्रतिमा विराजित करने, प्रभु को वधाने एवं नवकार महामंत्र पट की स्थापना करने का लाभ सचिन कुमार कांतिलाल सराफ परिवार ने लिया। वहीं दादा गुरुदेव के चित्र व अखंड दीपक की स्थापना नाथूलाल शैतानमल बाफना परिवार की ओर से हुई। नवकार महामंत्र के पहले दिन एकासने का लाभ शैलेंद्रकुमार सराफ परिवार की ओर से लिया गया। उधर, शुक्रवार को श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में गुरुपद महापूजन का आयोजन हुआ। लाभार्थी विजूबाई भंवरलाल बालगोता परिवार मेंगलवा, केसी कुंदन ग्रुप ने दादा गुरुदेव को एक स्वर्ण हार एवं 36 रजत सिक्के अर्पित किए। नवकार महामंत्र आराधना के पहले दिन शनिवार को इसी परिवार द्वारा सिद्धचक्र महापूजन का आयोजन किया गया। इसमें प्रभु श्री आदिनाथ भगवान को स्वर्ण चेन अर्पित की गई।