डही (नईदुनिया न्यूज)। जब बच्चे शाला में आते हैं, तो भाषा संबंधी संसाधन उनके आसपास ही होने चाहिए। उनकी कक्षा प्रासंगिक शिक्षण अधिगम सामग्री से परिपूर्ण होनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे भाषा के संपर्क में आकर उसका उपयोग देखकर, सुनकर तेजी से सीखेंगे। भाषा सीखना, सिखाना केवल भाषा की कक्षा में ही नहीं, बल्कि अन्य सभी विषयों में भी होता है। इसलिए विभिन्ना संसाधनों के साथ कक्षा को समृद्ध करना महत्वपूर्ण है। अपने विद्यालय व कक्षा में प्रिंट रिच वातावरण तैयार करें। स्कूल की दीवारें खाली नहीं होनी चाहिए। बच्चे स्कूल के कोने-कोने से सीखें, यह शिक्षकों को तय करना होगा। प्रिंट रिच वातावरण द्वारा बच्चे भाषा, विज्ञान और गणित की मूल अवधारणाओं को आसानी से समझ सकते हैं।
यह बात निष्ठा ऑनलाइन प्रशिक्षण के दौरान एनसीईआरटी के विशेषज्ञों ने शिक्षकों को मार्गदर्शन देते हुए कही। 15 दिसंबर को निष्ठा ऑनलाइन प्रशिक्षण का चौथा चरण संपन्ना हुआ। अब 16 से 30 दिसंबर तक शिक्षकों को निष्ठा ऑनलाइन प्रशिक्षण के पांचवें दौर के तहत विद्यालय नेतृत्व-संकल्पना और अनुप्रयोग, विद्यालयी शिक्षा में नई पहलें व पूर्व प्राथमिक शिक्षा के माड्यूल पर प्रशिक्षण लेना होगा।
बिना रोक-टोक और उत्सुकता से शिक्षा ग्रहण कर सकें
बीईओ सतीशचंद्र पाटीदार व बीआरसी मनोज दुबे ने कहा कि बच्चे अपने साथ बहुत कुछ लेकर विद्यालय आते हैं। अपनी भाषा, अपने अनुभव और दुनिया को देखने का अपना नजरिया आदि। बच्चे दुनिया के बारे में अपनी समझ और ज्ञान का निर्माण स्वयं करते हैं। यह निर्माण किसी के सिखाए जाने या जोर जबरदस्ती से नहीं, बल्कि बच्चों के स्वयं के अनुभव और आवश्यकताओं से होता है। इसलिए बच्चों को ऐसा वातावरण मिलना जरूरी है, जहां वे बिना रोक-टोक के अपनी उत्सुकता के अनुसार अपने परिवेश की खोजबीन कर सके और शिक्षा ग्रहण कर सकें।