Sharadiya Navratri 2021: बदनावर। नईदुनिया न्यूज। बदनावर स्थित प्राचीन एकवीरा देवी का मंदिर इन दिनों श्रद्धा, भक्ति एवं आराधना का केंद्र बना हुआ है। एकवीरा मंदिर 108 गुप्त शक्तिपीठों में से एक है। एकवीरा माता पांडवों की कुलदेवी हैं। इसके देशभर में दो ही मंदिर हैं। एक बदनावर तथा दूसरा धुलिया (महाराष्ट्र) में। मूर्ति एक दिन में अपने तीन स्वरूपों में दर्शन देती हैं। दशहरे के दिन मंदिर की छटा निराली हो जाती है, जब नौ दिवसीय आराधना के पश्चात विजयी भाव से श्रद्धालु देवी दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं। सच्चे मन से श्रद्धापूर्वक की गई हर मनोकामना यहां पूर्ण होती है।
इतिहास: एकवीरा देवी का उल्लेख हरिवंश पुराण, देवी महापुराण एवं दुर्गा सप्तशती में भी होना बताया जाता है। कुछ इतिहासकार एवं पुरातत्ववेता इसे परमारकालीन मानते हैं। एकवीरा देवी की मूर्ति लगभग दो हजार से अधिक वर्ष पुरानी हैं। मंदिर के जीर्णोद्धार से मंदिर का स्वरूप तो बदल गया है, किंतु मूर्ति आज भी ज्यों की त्यों है।
विशेषता: किंवदंतियों के अनुसार पांडव यहां अज्ञातवास के दौरान देवी-दर्शन के लिए आया करते थे। बदनावर के निकटवर्ती अर्जुनखेड़ी, भीमपुरा, भीमपाला आदि स्थानों के नाम से पता चलता है कि पांडवों का यहां से जरूर कोई संबंध रहा होगा।
मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान खोदाई में कई भित्ती चित्र एवं पत्थर की अनेक छोटी बड़ी मूर्तियां मिली हैं, जो मंदिर परिसर में आज भी मौजूद है। इनमें शिवलिंग, गणेश, राधाकृष्ण, काल भैरव, बटुक भैरव एवं बालकनाथ की मूर्तियां शामिल हैं।
नवरात्र के दौरान सप्तमी तिथि को एकवीरा देवी का प्रार्दुभाव हुआ है, उस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।मंदिर के पुजारी मनीष शर्मा बताते हैं कि वे वंशानुगत रूप से मंदिर की पूजा-अर्चना करते चले आ रहे हैं। एकवीरा देवी सुबह बाल्यकाल, दोपहर में युवा अवस्था और शाम को वृद्धावस्था के रूप में दर्शन देती हैं।