धार (नईदुनिया प्रतिनिधि)। कोरोना संक्रमण के बीच कहीं न कहीं प्लाज्मा लोगों की जिदंगी बचाने में मददगार है। जब मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन, मेडिसिन से कोई फायदा नहीं होता है। लास्ट स्टेज पर प्लाज्मा उन्हें जीवनदान दे रहा है। कई युवा जो कोरोना से संक्रमित होकर उबर चुके हैं वे प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आ रहे हैच। बाकानेर के युवा आशीष ठाकुर ने शनिवार को इंदौर में प्लाज्मा डोनेट किया है।
धार के उपेंद्र माहेश्वरी ने गत दिवस इंदौर में जाकर कोरोना पाजिटिव मरीज को प्लाज्मा डोनेट कर उसकी जान बताई। धार में प्लाज्मा एफेरेसिस मशीन नहीं होने के कारण यहां पर प्लाज्मा डोनेट नहीं हो पाता है। इस वजह से डोनेट के लिए हमें इंदौर जाना पड़ता है। रक्तदान महा सेवा समिति के डॉ आरसी मोर्य ने बताया कि ऐसे मरीज जो कोरोना पाजिटिव होकर रिकवर हो चुके हैं। उनके शरीर में इम्यून सिस्टम से एंटीबॉडी बनती है। एंटीबॉडी इस बीमारी से लड़ने में काफी मददगार साबित होती है। जिसे प्लाज्मा थैरेपी कहते हैं। इसमें रिकवर होने के 28 दिन बाद वे स्वस्थ्य होने पर कुछ आवश्यक जांचे करवान के बाद प्लाज्मा डोनेट कर दूसरे संक्रमित मरीज की जान बचा सकता है।
धार के उपेंद्र के प्लाज्मा डोनेट की कहानी....
जिस बीमारी ने मेरे परिवार को चपेट में लिया....दूसरों की जान बचाने की ठानी
धार के उपेंद्र माहेश्वरी ने बताया कि सितंबर 2020 में पूरे परिवार सहित खुद भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए थे। उस समय उनका मनोबल भी टूटा था। उसकी वजह यह थी कि उनकी एक छोटी बेटी जो पाजिटिव नहीं आई थी। उन्हें उनकर चिंता हो रही थी कि हमें तो ले जाएगा पर हम बच्ची को कहां पर छोड़ेंगे। जब स्वास्थ्य विभाग उनके घर उन्हें लेने पहुंचा तो उन्होंने इस परेशानी को बताया और स्वास्थ्य विभाग ने उनकी परेशानी को स्वीकार करते हुए हमें होम आइसोलेशन की सलाह दी। इसके बाद उन्होंने पूरे प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस कोरोना की जंग को पूरे परिवार सहित जीता। उन्होंने बताया कि हम रिकवर तो जल्द ही हो गए थे पर 28 दिन का हमें क्वाारंटाइन किया गया था। जिसे हमने इंजॉय करके इन दिनों को निकाला था। मैं पहले से ब्लड डोनेट करता आया हूं। उन दिनों मेरे पास रक्तदान महादान समिति से फोन आया ब्लड डोनेशन के लिए। मैंने उन्हें बताया कि मैं पाजिटिव आ चुका हूं। तब उन्होंने मुझे बताया कि आप जब रिकवर हो जाओ तब प्लाज्मा डोनेट कर देना। उसी समय मैंने सोच लिया था कि जिस बीमारी ने मुझे व परिवार को चपेट में लिया। उस बीमारी से मैं किसी की जान नहीं जाने दूंगा। मेरे पास गत दिवस फोन आया कि एक मरीज को प्लाज्मा डोनेट की जरूरत है। तब मैं इंदौर गया और प्लाज्मा डोनेट किया। प्लाज्मा डोनेट करने का कार्य जारी रखूंगा।
10 डोनर तैयार...स्टाफ की कमी..
रक्तदान महादान सेवा समिति के डा. आरती मौर्य ने बताया कि अभी हमारे पास 10 ऐसे डोनर हैं जो किसी भी समय प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। अगर स्वास्थ्य विभाग से हमें रिकवर हुए मरीजों की सूची प्राप्त हो जाती है तो हम उन्हें दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। परंतु अभी स्वास्थ्य विभाग के पास स्टाफ कम होने के चलते हमें उनकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। रक्तदान महादान सेवा समिति आने वाले दिनों में एक कैंप का आयोजन भी करने वाली है।
धार में नहीं...इंदौर जाना पड़ता
प्लाज्मा डोनेट के लिए इन दिनों धार में प्लाज्मा एफेरेसिस मशीन नहीं होने के कारण धार में प्लाज्मा डोनेट नहीं होता है। इसके लिए हमें इंदौर जाना पड़ता है। इंदौर में जाकर प्लाज्मा डोनेट कर धार लाने के लिए कोल्ड बॉक्स का सहारा लेना पड़ता है। इस बॉक्स को अगर हम एंबुलेंस के जरिए लाते हैं तो वह ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। अगर एंबुलेंस नहीं मिल पाए तो हम उसे किसी प्राइवेट गाड़ी में भी ला सकते हैं। लाने के बाद धार ब्लड बैंक में माइनस 40 डिसे 2 घंटे के लिए जमाना पड़ता है। उसके बाद मशीन में 30 मिनट के लिए तरल करना पड़ता है।
-प्लाज्मा एक खून का हिस्सा है
-18 से 55 साल के स्वस्थ व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।
-45 किलो से अधिक वजन वाला व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
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रेमडेसिविर इंजेक्शन किल्लत दूर करने के लिए विधायक ने लिखा पत्र
धार। जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर संकट जनक स्थिति बनी हुई है। शासकीय चिकित्सालय के साथ-साथ निजी क्षेत्र में भी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो रहे है। इस संबंध में धार विधायक नीना वर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि जिले में कोरोना मरीजों के लिए शासकीय चिकित्सालयों और निजी चिकित्सालय में बिस्तर आरक्षित किए गए हैं। कोरोना पोर्टल पर निजी चिकित्सालय में मरीजों के लिए आरक्षित बिस्तर की संख्या कम अंकित की गई है। जबकि वर्तमान परिस्थिति में निजी चिकित्सालय में कई अधिक मरीजों का भर्ती करके उपचार किया जा रहा है। इस कारण निजी चिकित्सालय में भर्ती जरूरतमंदों को इंजेक्शन नहीं मिल पाते। इससे मरीजों के परिजनों में अत्यधिक असंतोष व्याप्त है। विधायक ने यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री से मांग की कि जिले में शासकीय चिकित्सालय के साथ-साथ निजी चिकित्सालय में भर्ती मरीजों की संख्या और आवश्यकता के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जाने की आवश्यकता है।