नई दुनिया प्रतिनिधि, डिंडौरी। जिले में जनजाति कार्य विभाग अंतर्गत संचालित स्कूलों और हॉस्टल में पदस्थ कर्मचारियों के मनमानी पूर्वक किए गए तबादले को मध्य प्रदेश शासन ने निरस्त कर दिया है। यह कलेक्टर नेहा मारव्या द्वारा किए गए मनमानी तबादले की बड़ी हार मानी जा रही है।
गौरतलब है कि विगत एक माह से मनमानी तबादले का विरोध जिले भर में चल रहा था। लगभग 200 शिक्षको को इस मनमानी तबादले के चलते उच्च न्यायालय से स्थगन भी मिल चुका था। उप सचिव मध्य प्रदेश शासन के द्वारा जारी आदेश में जिले में किए गए 438 शिक्षकों के मनमानी पूर्वक युक्तयुक्तकरण को निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है।
इसी तरह कलेक्टर द्वारा तीन प्राचार्य जो की द्वितीय श्रेणी के थे जिले के अंदर स्थानांतरण किया गया था। इस आदेश को मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति 2025 के पेरा 5 एवं 6 के अनुरूप नहीं पाया गया। इसी के चलते प्राचार्य का स्थानांतरण भी निरस्त कर दिया गया है।
कलेक्टर द्वारा 12 उच्च माध्यमिक शिक्षकों का भी जिले के अंदर तबादला किया गया था। यह भी नियम विरुद्ध तबादला होने से तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। 3 जुलाई 2025 को 156 शिक्षकों का एवं दूसरे आदेश से 280 शिक्षकों का कुल 438 शिक्षकों का युक्तयुक्तकरण कर मनमानी पूर्वक पदस्थापना की गई थी। इसमें भी बड़ी मनमानी सामने आने से यह सभी तबादला आदेश निरस्त कर दिए गए हैं।
जारी आदेश के तहत 11 जुलाई को 139 छात्रावास अधीक्षकों की प्रदस्थापन की गई थी। इस आदेश में भी बड़ी मनमानी सामने आने पर इसे निरस्त कर दिया गया है। बताया गया कि छात्रावास अधीक्षक का प्रभार सौंपने संबंधी निर्देश 16 मार्च 2015 के अनुरूप कार्रवाई करने की निर्देश दिए गए हैं।
यह आदेश उच्च न्यायालय में विषय के संबंध में प्रचलित विभिन्न याचिका में पारित अंतिम निर्णय के आधीन होगा। जिले में अधीक्षक और शिक्षकों का मनमानी तबादला जिला प्रशासन के साक का विषय बना हुआ था।
लगातार निर्देश मिलने के बाद भी जिला प्रशासन पीछे हटने को तैयार नहीं था। शासन स्तर से सभी आदेश निरस्त होने से यह जिला प्रशासन की प्रदेश स्तर पर बड़ी किरकिरी है। इस मनमानी तबादले में तत्कालीन प्रभारी सहायक आयुक्त और डिप्टी कलेक्टर बैद्यनाथ बासनिक की बड़ी मनमानी सामने आई थी। उनके विरुद्ध अलग से कार्रवाई करने की मांग जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारी कर्मचारियों ने की है।