
आशीष शुक्ला, नईदुनिया, डिंडौरी। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल डिंडौरी, मंडला सहित आसपास के पड़ोसी जिलों में मतांतरण बड़ी समस्या बनी हुई है। यहां मिशनरीज का जाल ऐसा फैला है कि भोले-भाले आदिवासी जनजाति के लोग शिक्षा और स्वास्थ्य का लाभ मिलने के फेर में फंस जाते हैं और उनका मतांतरण करा दिया जाता रहा है। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यहां जमीनी स्तर पर लगातार सक्रिय होकर मतांतरण पर नकेल कस रहा है। जनजातीय कल्याण केंद्र बरगांव में आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए कुल 14 क्षेत्रों में प्रकल्प काम कर रहा है।
केंद्र में वनवासियों के बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के साथ उन्हें भारतीय संस्कृति का ज्ञान भी दिया जा रहा है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के साथ ही आदिवासी समुदाय को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास वर्ष 1995 से चल रहे हैं। यहां एक आवासीय सर्वसुविधा युक्त स्कूल भवन भी बन गया है, जिसमें आदिवासी बच्चों को सीबीएसई पाठ्यक्रम के माध्यम से अध्यापन कराने की पहल होगी।
जनजातीय कल्याण केंद्र द्वारा वर्तमान में संचालित नर्मदांचल विद्यापीठ में अध्य्यन करते विद्यार्थी।
जनजाति कल्याण केंद्र में जैविक खेती के साथ पशुपालन को बढ़ावा देने की भी पहल की जा रही है। केंद्र में लगातार गत 10 वर्षों से वृहद स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन प्रति वर्ष किया जा रहा है, जिसमें अब तक दो लाख से अधिक आदिवासी लाभान्वित हो चुके हैं। इन शिविरों में मुंबई, दिल्ली, नागपुर, जबलपुर सहित बड़े महानगरों से भी विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम आती है, जो मरीजो का निश्शुल्क जांच कर इलाज भी करती है।
दिव्यांगों को आवश्यक उपकरण देने के साथ प्रशासनिक सहयोग से दिव्यांगता के प्रमाण पत्र मौके पर बनवाए जाते हैं। जनजाति कल्याण केंद्र में नर्मदांचल विद्यापीठ आवासीय स्कूल का संचालन हो रहा है। यहां वर्तमान में 478 बच्चे आदिवासी जनजाति के अध्ययन कर रहे हैं।
जनजातीय कल्याण केंद्र की गोशाला में गायों की देखभाल करते केंद्र के पदाधिकारी।
जनजाति कल्याण केंद्र के प्रयास से मतांतरण के मामलों में कमी आई है। जनजाति कल्याण केंद्र के आवासीय स्कूल में जबलपुर, अनूपपुर, मंडला, उमरिया, शहडोल, कटनी तक के बच्चे अध्ययन करते हैं। अब तक 30 वर्षो में एक लाख से अधिक लोगों को मतांतरण करने से रोकने की पहल इस केंद्र के माध्यम से हो चुकी है।
जनजाति कल्याण केंद्र के माध्यम से अलग अलग क्षेत्र में कुल 14 प्रकल्प काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा का भ्रम फैला कर मतांतरण के मामले आदिवासी अंचलों में लगातार सामने आ रहे थे। जनजाति कल्याण केंद्र के माध्यम से हजारों लोगों को रोजगार से जोड़ने के साथ उनके बच्चों को स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था की जा रही है। इससे मतांतरण के मामलों में कमी आई है। जनजाति समुदाय के लोगों में जागरूकता भी बढ़ रही है। - श्याम जी बनमली, प्रकल्प प्रमुख जनजाति कल्याण केंद्र बरगांव डिंडौरी।