बृजेश शर्मा, पीपलखेड़ी।
राघौगढ़ तहसील के विजयपुर गांव का नाम विजयपुर क्यों पड़ा! इसका रहस्य जानने के लिए हमें आजादी की पहली लड़ाई यानी 1857 की क्रांति के दौर में जाना होगा। दरअसल, क्रांतिकारी तात्या टोपे अंग्रेजों को खदेड़ने आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने राघौगढ़ के समीप एक पहाड़ी पर पनाह ली थी। इसकी भनक अंग्रेजी फौज को लगी, तो उन्हें चारों ओर से घेर लिया गया। इस दौरान तात्या टोपे ने अपनी टुकड़ियों के साथ अंग्रेजी फौज का डटकर मुकाबला किया। इसके बाद तात्या टोपे ने अंग्रेजी सेना को परास्त कर दिया, जिसमें अंग्रेजी फौज के जनरल लेफ्टिनेंट को भी मार गिराया था। इधर, जीत की खुशी में उक्त गांव का नाम विजयपुर रखा गया।
वर्तमान में राघौगढ़ नगरपालिका के वार्ड-16 का हिस्सा विजयपुर गांव की पहाड़ी पर 1858 में तात्या टोपे अपनी टुकड़ियों के साथ पहुंचे थे। इस दौरान ग्रामीणों ने उन्हें राशन-पानी की मदद पहुंचाई थी। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि तात्या टोपे ने ग्रामीणों से कहा था कि गांव से दूर चले जाएं, क्योंकि अंग्रेजी सेना से युद्घ हुआ, तो गोलियां चलेंगी। इधर, अंग्रेजी फौज तात्या टोपे की जानकारी मिलते ही पहाड़ी पर पहुंच गई और पहाड़ी को चारों ओर से घेर लिया था। वहीं तात्या टोपे की सेना की टुकड़ियां आराम कर रही थीं, तभी अंग्रेजी सेना की ओर से गोलियां शुरू कर दी गईं। इसके बाद भी तात्या टोपे की सेना ने अंग्रेजों को मार भगाया था। युद्घ के दौरान अंग्रेजी फौज का सेनानायक जनरल लेफ्टिनेंट अलेक्जेंडर फावगे मारा गया था। इसके बाद तात्या टोपे की सेना जंगल के रास्ते से आगे की ओर रवाना हो गए थे। इधर, अंग्रेजी सेना द्वारा जनरल लेफ्टिनेंट के शव को विजयपुर की पहाड़ी पर ही दफनाया गया, जिसके ऊपर क्रास लगाया। अष्टधातु की इस कब्र के ऊपर पूरी जानकारी लिखी हुई थी, लेकिन दो दशक पहले किसी ने इसका ढ-न तोड़ दिया। इससे अब इसके ऊपर अंकित जानकारी मिट गई है, लेकिन गांव के बुजुर्गों को इसकी पूरी जानकारी है।
पाठ्यक्रम में भी हुआ जिक्र
विजयपुर गांव में तात्या टोपे और अंग्रेजी फौज के बीच हुए युद्घ का जिक्र वर्ष 1982 से 1985 तक प्राथमिक शाला की कक्षा-3 के भूगोल में भी किया गया है। माध्यमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक महेशकुमार भार्गव ने बताया कि वर्ष 1982 से 85 के बीच जिले के विशेष स्थलों पर इसे प्राइमरी स्कूल के पाठ्यक्रम में पढ़ाया गया है। हालांकि, बाद में पाठ्यक्रम से इसे हटा दिया गया।
इनका कहना है-
हम तो छोटे थे, लेकिन बुजुर्गों से सुनते रहे हैं। गांव की पहाड़ी पर झाड़ियां ही थीं, जहां भयानक लगता था। यहीं महुआ के पेड़ के नीचे क्रास बना हुआ था। उस पर एक प्लेट लगी थी, जिस पर लिखा था मेमोरी आफ अलेक्जेंडर फावगे। इसमें लिखा था कि अंग्रेजों की एक टुकड़ी थी, जिसके सेनानायक अलेक्जेंडर थे। उनका जंगल में छिपी तात्या टोपे की सेना की टुकड़ी युद्घ हुआ था, जिसमें अंग्रेजी सेनानायक मारा गया था। उस दिन तिथि डोल ग्यारस थी, जहां अंग्रेजी सेना ने तात्या टोपे की टुकड़ी पर सोते में हमला किया था। तात्या टोपे की सेना को ग्रामीणों ने राशन पानी की सहायता की थी।
- समरत धाकड़, सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक विजयपुर
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स्वतंत्रता संग्राम में तात्या टोपे भागीदार रहे थे, जिनकी टुकड़ियों से अंग्रेजी सेना का युद्घ हुआ था। तात्या टोपे की सेना हावी रही और विजय हासिल की थी। यही वजह है कि गांव का नाम विजयपुर पड़ा। बुजुर्ग बताते रहे कि पूर्व में गांव में शीशम की गोलियां, बंदूकों की नाल भी देखने को मिलती थीं, लेकिन अब सब समाप्त हो चुके हैं। युद्घ के दौरान कुछ अंग्रेजों की मौत हो गई थी, तो कुछ भाग गए थे। विद्यालय में तात्या टोपे के नाम से एक कक्ष बनाया है, क्योंकि मेरे मन में उनके प्रति श्रद्घा, स्नेह रही है और ऋणी हूं। जल्द ही उनके नाम से गांव में एक स्टेडियम भी बनेगा, जिसकी कार्ययोजना बन चुकी है।
- महेशकुमार भार्गव, प्रधानाध्यापक, माध्यमिक विद्यालय विजयपुर
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तात्या टोपे विजयपुर गांव आकर टुकड़ियों के साथ पठारी पर ठहरे थे। थके-हारे होने से पहाड़ी पर ही आराम कर रहे थे। इसी बीच अंग्रेजी फौज को सूचना लगी, तो पहाड़ी को चारों ओर से घेरकर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। बुजुर्ग बताते रहे कि तात्या टोपे की सेना बहादुरी के साथ लड़ी और अंग्रेजों को खदेड़ दिया था। इसमें कई अंग्रेजी सैनिक मारे गए थे, तो गांव के दो-तीन लोगों के मारे जाने की बात सुनी है। अंग्रेजी सेनानायक को दफनाकर क्रास लगाया था। बहुत पहले कुछ लोगों ने मोहरे भरी होने की आस में क्रास की प्लेट खोल ले गए, लेकिन कुछ नहीं मिला। हालांकि, उसकी जानकारी मैंने लिखकर रख ली थी।
- रामचरणलाल साहू, विजयपुर