नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान (एलएनआइपीई) में एक महिला योग प्रशिक्षिका के साथ तत्कालीन कुलपति के यौन उत्पीड़न करने के मामले में हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने तत्कालीन कुलपति डॉ. दिलीप कुमार दुरेहा पर लगाए गए आरोपों को सही ठहराते हुए कोर्ट ने न सिर्फ उन्हें 35 लाख रुपये का हर्जाना भरने का आदेश दिया, बल्कि संस्थान को भी एक लाख रुपये का जुर्माना अदा करने को कहा है।
इतना ही नहीं, पुलिस की तीन साल की निष्क्रियता पर भी हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पीड़िता को पांच लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जाए, जिसमें पूरी राशि जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों से वसूली जाए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि पीड़िता को न केवल यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा, बल्कि संस्थान और पुलिस की निष्क्रियता के कारण न्याय में तीन वर्षों की देरी हुई, जिससे उसे मानसिक, भावनात्मक और पेशेवर क्षति हुई।
शिकायतकर्ता योग प्रशिक्षिका वर्ष 2015 से एलएनआइपीई में स्थायी पद पर कार्यरत थीं। मार्च 2019 में उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन कुलपति डॉ. दिलीप दुरेहा ने उनके साथ अशोभनीय व्यवहार किया। महिला का आरोप था कि पूर्व कुलपति का सहयोग तत्कालीन डायरेक्टर जनक सिंह शेखावत, योग विभाग की एचओडी इंदु वोरा, सहायक अध्यापिका पायल दास, तत्कालीन समन्वयक विवेक पांडे ने किया। उन्होंने सबूत मिटाने, सीसीटीवी कैमरे बदलवाने और पीड़िता पर दबाव बनाने का काम किया।
इस मामले की जब महिला ने शिकायत की तो संस्थान की जांच समिति ने आरोपों को झूठा बताया। फिर यह शिकायत खेल मंत्रालय पहुंची, तब उच्च स्तरीय समिति ने जांच की। समिति ने अपनी रिपोर्ट में पूर्व कुलपति दिलीप कुमार दुरेहा को दोषी पाया। इसी आधार पर महिला ने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने सुनवाई नहीं की तो महिला ने कोर्ट में गुहार लगाई। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने इस मामले में गोला का मंदिर पुलिस को एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए, तब जाकर पूर्व कुलपति सहित पांच लोगों पर एफआइआर दर्ज की गई।
महिला ने शिकायत में इस बात का भी जिक्र किया कि इस घटना के बाद भी कुलपति द्वारा बार-बार दबाव बनाना, धमकाना और मानसिक प्रताड़ना का सिलसिला जारी रहा। 14 अक्टूबर 2019 को पीड़िता ने इसकी शिकायत केंद्रीय खेल मंत्रालय से की। उन्होंने बताया कि संस्थान के स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा पीड़िता को प्रताड़ित करने के लिए उसे कारण बताओ नोटिस दिए गए और काम का माहौल और अधिक विषैला बना दिया गया।
महिला आयोग की सिफारिश पर बनी आंतरिक शिकायत समिति (आइसीसी) ने विस्तृत जांच के बाद माना कि आरोप गंभीर और सही हैं। पीड़िता के बयान, गवाहों की गवाही और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर समिति ने निष्कर्ष दिया कि डा. दुरेहा ने अपने पद का दुरुपयोग कर महिला को प्रताड़ित किया और संस्थान की कार्य संस्कृति को दूषित किया।
- डॉ. दुरेहा पीड़िता को 35 लाख रुपये का हर्जाना दें।
- एलएनआइपीई संस्थान एक लाख रुपये बतौर जुर्माना अदा करे।
- मध्यप्रदेश शासन पांच लाख रुपये पीड़िता को मुआवजे के रूप में दे, जिसे जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों से वसूला जाए।
- यदि पीड़िता चाहे तो उसे किसी अन्य संस्थान में स्थानांतरित किया जाए।